जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस
नागपंचमी आज रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन जगह-जगह सर्प पूजा की जाएगी। गांवों में महिलाएं घर की दीवारों पर गोबर से नाग का चित्र बनाकर पूजा-अर्चना करेंगी। वहीं कोठार, खेत आदि जगहों पर दूध-लाई रखा जाएगा। सपेरे पिटारे में सांप लेकर लोगों को दर्शन कराएंगे। नागपंचमी के दिन गांवों में नगमत की परंपरा बहुत पुरानी है। नगमत यानी मंत्र साधना। कई गांवों में लोग इकट्ठे होकर सर्प की पूजा करेंगे।
नगमत में सांप काटे का मंत्र जानने वाले मंत्र दुहराएंगे। नई पीढ़ी के लोगों को मंत्र की दीक्षा भी दी जाएगी। दूध-लाई रखकर सर्पों की प्रतीकात्मक पूजा-अर्चना कर दूध-लाई चढ़ाया जाएगा। शहर में कहरापारा में नगमत का आयोजन किया गया है। जैजैपुर क्षेत्र के कैथा और अकलतरा क्षेत्र के दल्हा में नागपंचमी के दिन मेला लगेगा। कैथा में भगवान शिव व बिरितिया बाबा के दर्शन करने हजारों के तादात में लोग पहुंचेंगे। अकलतरा के पास पोड़ीदल्हा में भी नागपंचमी का मेला लगेगा। पौराणिक मान्यताओं और भागवत कथा के अनुसार नागमाता ने वरदान दिया था कि श्रावण शुक्ल पंचमी को उनके पुत्रों यानी नाग को दूध पिलाकर पूजा करने पर किसी भी विषैले सर्प के काटने का असर नहीं होगा। इसी मान्यता के तहत यह त्योहार मनाया जाता है।
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घरों के अलावा खेत, कोठार व अन्य जगहों पर दूध-लाई रखा जाएगा। इस दिन विषधर बांबियों से बाहर निकलकर दूध पीते हैं। इस कारण से किसान कृषि कार्य बंद रखेंगे। खेतों में हल नहीं चलेंगे। शहर में भी सर्प की पूजा की जाएगी। पिटारों पर सांप रखे सपेरे दिनभर सड़कों पर दिखाई देंगे। घरों-घर घूमकर सपेरे पिटारे में रखे नाग के दर्शन कराएंगे। इसके बदले उन्हें चढ़ावे के रूप में रुपए दिए जाएंगे। नागपंचमी के दिन अखाड़े की भी परंपरा रही है, जो धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। पहले शहर में कई जगहों पर इस दिन अखाड़े लगते थे और पहलवान मल्ल युद्ध करते थे। सर्पों को धरणेंद्र यानी पृथ्वी का राजा कहा जाता है। देवताओं ने नागों को विशेष महत्व दिया है, इसलिए श्रावण शुक्ल पंचमी पर सर्पों की पूजा करने का विधान है।
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देवकिरारी में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन
फोटो है।
अकलतरा क्षेत्र के ही देवकिरारी में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी नागपंचमी पर्व को कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। नागपंचमी के अवसर पर आयोजित होने वाले इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दूर-दूर से प्रतिभागी प्रतिवर्ष यहां आते हैं। यहां नागपंचमी को मेला का आयोजन भी किया जाता है। उक्त कार्यक्रम गुरूवाईन दाई परिसर में संपन्न होता है जिसमें विजेता टीम को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार वितरण किया जाता है। गांव में उत्सव का माहौल रहता है व आसपास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं एवं गुरूवाईन दाई में नागदेवता के दर्शन करने व दूध लाई नारियल चढ़ाने के लिए लोगों का ताता लगा रहता है।
नागपंचमी आज रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन जगह-जगह सर्प पूजा की जाएगी। गांवों में महिलाएं घर की दीवारों पर गोबर से नाग का चित्र बनाकर पूजा-अर्चना करेंगी। वहीं कोठार, खेत आदि जगहों पर दूध-लाई रखा जाएगा। सपेरे पिटारे में सांप लेकर लोगों को दर्शन कराएंगे। नागपंचमी के दिन गांवों में नगमत की परंपरा बहुत पुरानी है। नगमत यानी मंत्र साधना। कई गांवों में लोग इकट्ठे होकर सर्प की पूजा करेंगे।
नगमत में सांप काटे का मंत्र जानने वाले मंत्र दुहराएंगे। नई पीढ़ी के लोगों को मंत्र की दीक्षा भी दी जाएगी। दूध-लाई रखकर सर्पों की प्रतीकात्मक पूजा-अर्चना कर दूध-लाई चढ़ाया जाएगा। शहर में कहरापारा में नगमत का आयोजन किया गया है। जैजैपुर क्षेत्र के कैथा और अकलतरा क्षेत्र के दल्हा में नागपंचमी के दिन मेला लगेगा। कैथा में भगवान शिव व बिरितिया बाबा के दर्शन करने हजारों के तादात में लोग पहुंचेंगे। अकलतरा के पास पोड़ीदल्हा में भी नागपंचमी का मेला लगेगा। पौराणिक मान्यताओं और भागवत कथा के अनुसार नागमाता ने वरदान दिया था कि श्रावण शुक्ल पंचमी को उनके पुत्रों यानी नाग को दूध पिलाकर पूजा करने पर किसी भी विषैले सर्प के काटने का असर नहीं होगा। इसी मान्यता के तहत यह त्योहार मनाया जाता है।
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घरों के अलावा खेत, कोठार व अन्य जगहों पर दूध-लाई रखा जाएगा। इस दिन विषधर बांबियों से बाहर निकलकर दूध पीते हैं। इस कारण से किसान कृषि कार्य बंद रखेंगे। खेतों में हल नहीं चलेंगे। शहर में भी सर्प की पूजा की जाएगी। पिटारों पर सांप रखे सपेरे दिनभर सड़कों पर दिखाई देंगे। घरों-घर घूमकर सपेरे पिटारे में रखे नाग के दर्शन कराएंगे। इसके बदले उन्हें चढ़ावे के रूप में रुपए दिए जाएंगे। नागपंचमी के दिन अखाड़े की भी परंपरा रही है, जो धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। पहले शहर में कई जगहों पर इस दिन अखाड़े लगते थे और पहलवान मल्ल युद्ध करते थे। सर्पों को धरणेंद्र यानी पृथ्वी का राजा कहा जाता है। देवताओं ने नागों को विशेष महत्व दिया है, इसलिए श्रावण शुक्ल पंचमी पर सर्पों की पूजा करने का विधान है।
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दल्हा पहाड़ पर उमड़ेगी भीड़
नाग पंचमी के अवसर पर हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों द्वारा दल्हा पर्वत में चढ़कर पहाड़ के ऊपर स्थित मंदिर में नारियल चढ़ाकर पूजा अर्चना की जाएगी। नाग पंचमी के अवसर पर प्रतिवर्ष दल्हा पहाड़ में हजारों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं। दल्हा पर्वत के नीचे विशाल मेले का आयोजन होता है। दल्हा पर्वत में आने वाले दर्शनार्थी पहाड़ चढ़ने के साथ-साथ मेले में लगने वाले विभिन्न स्टालों में व्यंजनों का आनन्द लेते हैं एवं बड़ी संख्या में खरीददारी भी करते हैं। नाग पंचमी के अवसर पर प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में रायपुर, भिलाई, दुर्ग, रायगढ़ एवं आसपास के जिलों से हजारों की संख्या में दर्शनार्थी दल्हा पर्वत में पहुंचते हैं।इसे भी पढ़ें: फ्रेंचाइजी ( Franchise ) लेकर बने दैनिक समाचार पत्र के मालिक
नागपंचमी पर कैथा में लगेगा मेला
बिर्रा हसौद के बीच बसे ग्राम कैथा जो कि बिरितिया बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है यहां हर वर्ष नागपंचमी पर भव्य मेला लगता है और बिरितिया बाबा का दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते है। ऐसी मान्यता है कि यहां सांप काटे हुए व्यक्ति को लाकर मंदिर में सुलाकर यहां की मिट्टी खिलाये जाने से सांप का जहर उतर जाता है और व्यक्ति स्वस्थ होकर जाता है। ऐसी ही एक किदवंती कथा है कि वर्षों पूर्व यहां के खेत में एक सांप के गले मे एक कांटा घुस गया तो वह सांप बहुत तकलीफ में था उसने अपनी दर्द वेदना से मुक्ति पाने ग्राम के गौटिया को रात में सपना दिया कि वह बहुत परेशान है ओर आकर उसकी दुख दूर करे तब गौटिया वहां जाकर देखा तो सच में सांप दर्द से कराहता मिला तो हिम्मत करके गौटिया ने सांप के गले से कांटा को निकाल कर वेदना से मुक्ति दिलाई तब सांप ने वरदान स्वरूप आशीर्वाद दिया कि इस गांव में जहरीले सर्पो के काटने का कोई असर नही होगा। गांव वालों ने जन सहयोग से एक मंदिर का निर्माण कराया है जहां हर वर्ष नागपंचमी पर मेला का आयोजन होता है और दूर दूर से लोग दर्शन करने पहुंचते है। विभिन्न समितियों द्वारा खीर पूडी और प्रसाद का वितरण करते है।इसे भी पढ़ें: लाखों कमाए पत्रकार पेज खरीदकर
देवकिरारी में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन
फोटो है।
अकलतरा क्षेत्र के ही देवकिरारी में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी नागपंचमी पर्व को कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। नागपंचमी के अवसर पर आयोजित होने वाले इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दूर-दूर से प्रतिभागी प्रतिवर्ष यहां आते हैं। यहां नागपंचमी को मेला का आयोजन भी किया जाता है। उक्त कार्यक्रम गुरूवाईन दाई परिसर में संपन्न होता है जिसमें विजेता टीम को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार वितरण किया जाता है। गांव में उत्सव का माहौल रहता है व आसपास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं एवं गुरूवाईन दाई में नागदेवता के दर्शन करने व दूध लाई नारियल चढ़ाने के लिए लोगों का ताता लगा रहता है।