राजेश सिंह क्षत्री
मेरे बहुत ही करीबी मित्र अनिल तंबोली की एक बार फिर से ईटीव्ही के जांजगीर-चांपा ब्यूरो के रूप में इलेक्ट्रानिक मीडिया में वापसी हुई है। अनिल के पास जैन टीव्ही से लेकर पी-7 तक और जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ से लेकर आईबीसी 24 तक इलेक्ट्रानिक मीडिया का लंबा अनुभव रहा है उसके बाद भी आईबीसी 24 से बाहर होने के बाद उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया में फिर से वापस आने में एक वर्ष से भी ज्यादा का लंबा समय लग गया जबकि मेरे हिसाब से अनिल तंबोली में वो तमाम गुण है जो कि एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार में होने चाहिए।
इसे भी पढ़ें: लाखों कमाए पत्रकार पेज खरीदकर
इसी मामले में छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस कार्यालय में चर्चा चल पड़ी कि एक पत्रकार की नियुक्ति आखिर किस आधार पर होती है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में जांजगीर-चांपा जिले में मैं ऐसा अकेला पत्रकार रहा हूं जिसने दस साल से भी ज्यादा का समय एक ही संस्थान में गुजारे हैं और उसके बाद जिसने स्वेच्छा से इस्तीफा देकर उस संस्थान को अलविदा कहा है। मेरे सामने सहारा समय में ही हमारे चैनल हेड से लेकर स्टेट ब्यूरो तक बदलते रहे वहीं कई इलेक्ट्रानिक मीडिया के उद्भव से लेकर पराभव तक हुए, लोग आते जाते रहे जिसमें एक से बढ़कर एक धुरंधर भी रहे लेकिन समय के साथ या तो वो निकाल दिए गए या फिर बदल दिए गए। वो उन संस्थानों की अपनी पालिसी रही जिस पर टीका-टिप्पणी करना उचित नहीं है। इन सबके बीच अनुभव बहुत कुछ सीखा गया। सबसे बड़ी बात जो देखने में आई वो यह कि पत्रकारिता में योग्यता ही सब कुछ नहीं होता बल्कि साथ ही साथ आपकी किस्मत और आपके बैनर के प्रमुख व्यक्ति से आपके संबंध भी इसमें एक बड़ा योगदान तय करते हैं।
इसे भी पढ़ें: पैसे तो बहुत होंगे पत्रकार जो है
उदाहरण के रूप में किसी भी चैनल में यदि ऊपरी स्तर पर फेरबदल होता है तो जो प्रमुख व्यक्ति आता है उसे अपना परफार्मेंस देने के लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता महसूस होती है जो उनके अपने हो और जिनकी बदौलत वो अपने समूह के परफार्मेंस को बेहतर बना सके। उस समय उसे लगता है कि पुराने हेड के साथ भी तो यही टीम कार्य कर रही थी जिसके अपेक्षाकृत परीणाम नहीं मिलने पर उन्हें चेंज किया गया है इसलिए वो उनके स्थान पर ऐसे लोगों की टीम सामने लाना चाहते हैं जो कि उनके निकट के हो और जिन्हें वो ज्यादा अच्छे से जानते समझते हो इसलिए वो ऐसे लोगों को अपनी टीम में रखते हैं, वहीं फेरबदल की दूसरी वजह उसके खुद के मन में असुरक्षा की भावना भी होती है जिससे उसको लगता है कि पुराने लोग तो पुराने बास के करीबी होंगे जो मौका देखकर उन्हें कभी भी निपटा सकते हैं इसलिए वो अपने लोगों की टीम बनाना चाहते हैं
इसे भी पढ़ें: फ्रेंचाइजी ( Franchise ) लेकर बने दैनिक समाचार पत्र के मालिक
इसलिए अगर आप अपने आपको बेहतर पत्रकार मानते हैं उसके बाद भी आपको आपके संस्थान से हटा दिया जाता है तो अपने काम को लेकर निराश बिल्कुल भी न होइए क्योंकि पत्रकारिता के साथ-साथ सभी व्यवसायों में भी यही फंडा लागू है। हो सकता है ऊपर वाले ने आपके लिए इससे बेहतर सोचा होगा इसलिए मेहनत और संघर्ष जारी रखें, उसके बेहतर परिणाम जरूर सामने आयेंगे।
मेरे बहुत ही करीबी मित्र अनिल तंबोली की एक बार फिर से ईटीव्ही के जांजगीर-चांपा ब्यूरो के रूप में इलेक्ट्रानिक मीडिया में वापसी हुई है। अनिल के पास जैन टीव्ही से लेकर पी-7 तक और जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ से लेकर आईबीसी 24 तक इलेक्ट्रानिक मीडिया का लंबा अनुभव रहा है उसके बाद भी आईबीसी 24 से बाहर होने के बाद उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया में फिर से वापस आने में एक वर्ष से भी ज्यादा का लंबा समय लग गया जबकि मेरे हिसाब से अनिल तंबोली में वो तमाम गुण है जो कि एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार में होने चाहिए।
इसे भी पढ़ें: लाखों कमाए पत्रकार पेज खरीदकर
इसी मामले में छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस कार्यालय में चर्चा चल पड़ी कि एक पत्रकार की नियुक्ति आखिर किस आधार पर होती है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में जांजगीर-चांपा जिले में मैं ऐसा अकेला पत्रकार रहा हूं जिसने दस साल से भी ज्यादा का समय एक ही संस्थान में गुजारे हैं और उसके बाद जिसने स्वेच्छा से इस्तीफा देकर उस संस्थान को अलविदा कहा है। मेरे सामने सहारा समय में ही हमारे चैनल हेड से लेकर स्टेट ब्यूरो तक बदलते रहे वहीं कई इलेक्ट्रानिक मीडिया के उद्भव से लेकर पराभव तक हुए, लोग आते जाते रहे जिसमें एक से बढ़कर एक धुरंधर भी रहे लेकिन समय के साथ या तो वो निकाल दिए गए या फिर बदल दिए गए। वो उन संस्थानों की अपनी पालिसी रही जिस पर टीका-टिप्पणी करना उचित नहीं है। इन सबके बीच अनुभव बहुत कुछ सीखा गया। सबसे बड़ी बात जो देखने में आई वो यह कि पत्रकारिता में योग्यता ही सब कुछ नहीं होता बल्कि साथ ही साथ आपकी किस्मत और आपके बैनर के प्रमुख व्यक्ति से आपके संबंध भी इसमें एक बड़ा योगदान तय करते हैं।
इसे भी पढ़ें: पैसे तो बहुत होंगे पत्रकार जो है
उदाहरण के रूप में किसी भी चैनल में यदि ऊपरी स्तर पर फेरबदल होता है तो जो प्रमुख व्यक्ति आता है उसे अपना परफार्मेंस देने के लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता महसूस होती है जो उनके अपने हो और जिनकी बदौलत वो अपने समूह के परफार्मेंस को बेहतर बना सके। उस समय उसे लगता है कि पुराने हेड के साथ भी तो यही टीम कार्य कर रही थी जिसके अपेक्षाकृत परीणाम नहीं मिलने पर उन्हें चेंज किया गया है इसलिए वो उनके स्थान पर ऐसे लोगों की टीम सामने लाना चाहते हैं जो कि उनके निकट के हो और जिन्हें वो ज्यादा अच्छे से जानते समझते हो इसलिए वो ऐसे लोगों को अपनी टीम में रखते हैं, वहीं फेरबदल की दूसरी वजह उसके खुद के मन में असुरक्षा की भावना भी होती है जिससे उसको लगता है कि पुराने लोग तो पुराने बास के करीबी होंगे जो मौका देखकर उन्हें कभी भी निपटा सकते हैं इसलिए वो अपने लोगों की टीम बनाना चाहते हैं
इसे भी पढ़ें: फ्रेंचाइजी ( Franchise ) लेकर बने दैनिक समाचार पत्र के मालिक
इसलिए अगर आप अपने आपको बेहतर पत्रकार मानते हैं उसके बाद भी आपको आपके संस्थान से हटा दिया जाता है तो अपने काम को लेकर निराश बिल्कुल भी न होइए क्योंकि पत्रकारिता के साथ-साथ सभी व्यवसायों में भी यही फंडा लागू है। हो सकता है ऊपर वाले ने आपके लिए इससे बेहतर सोचा होगा इसलिए मेहनत और संघर्ष जारी रखें, उसके बेहतर परिणाम जरूर सामने आयेंगे।