जीवन और मृत्यु के बीच में एक बहुत ही पतली सी रेखा है, जब तक मनुष्य की सांस चल रही है तब तक वह जीवित है और जिस घड़ी सांस रूक जाए उसकी मृत्यु हो जाती है। ऐसे ही सफलता और असफलता के बीच एक पतली सी महीन सी रेखा है। कई बार लोगों को समझ नहीं आता कि वो सफल हो रहे हैं अथवा असफल हो रहे हैं। चूंकि कई बार सफलता का अहसास काफी विलंब से होता है इसलिए लोगों को यह लगने लगता है कि वह असफल हो गया है और उसी क्षण वह अपनी कोशिशें बंद कर देता है नतीजन उसे हार का मुंह देखना पड़ता है। हाकी, फुटबाल, कबड्डी जैसे खेलों को देखते समय कोई अगर पूछे कि कौन सी टीम आगे चल रही है तो हम तपाक से जवाब दे देते हैं कि अमुक टीम आगे है लेकिन बात जब क्रिकेट की हो तो अंतिम गेंद के फेंके जाने से पहले जवाब देना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि उसमें पहले किसी एक टीम को अपनी पूरी प्रतिभा दिखाकर रन बनाने का मौका मिलता है फिर दूसरी टीम को उस रन को पार करना होता है।
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पहली पारी खेलने वाली टीम के द्वारा कम स्कोर बनाए जाने पर हम उम्मीद तो करते हैं कि दूसरी टीम जीत जाएगी लेकिन दावे के साथ नहीं कह सकते वहीं पहली पारी खेलने वाली टीम के चार सौ के स्कोर बनाने के बाद भी यही बात लागू होती है क्योंकि दोनों स्थिति में कई मौको पर विरोधी टीम को जीतते देखा गया है वहीं अगर कम स्कोर बनाने पर पहली टीम प्रारंभ से ही हार मान जाए अथवा ज्यादा स्कोर खड़ा करने पर दूसरी टीम के लोगों को जीत नामुमकीन लगे तो उनका सफल होना मुश्किल है।
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यही बात जीवन में भी लागू होता है। कई स्थानों पर जीवन में सफलता की रफ्तार इतनी धीमी होती है कि हमें लगने लगता है कि बाजी तो हमारे हाथ से गई और इस खेल में हमारी हार निश्चित है, ऐसे समय में आपको अपने आस-पास नजर दौड़ानी चाहिए।
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अगर आपका अहसास हो कि आपके चाहने वाले आपको देखते हुए मुंह फेर रहे हैं अथवा जल रहे हैं मतलब साफ है आप सफल हो रहे हैं ऐसी स्थिति में आप अन्यथा नही लेते हुए अपना काम और भी मनोयोग से करो क्योंकि लोगों को आप को देखते हुए मुंह फेर लेना ही इस बात की ओर इशारा कर रही है कि आप कुछ हटकर कार्य कर रहे हो जिसमें आप सफल हो रहे हो।
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