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कांग्रेस के लिए घाटे का सौदा रहा राज्यसभा चुनाव!

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saroj panday lekhram sahu

राजेश सिंह क्षत्री

रायपुर/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा की एक मात्र सीट के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय का चुना जाना पहले से ही तय था ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए लेखराम साहू को चुनाव मैदान में उतार दिया तो लगा चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के बहाने बढ़त बनाने में कामयाब रहेगी। लेखराम साहू की उम्मीद्वारी का आगे बढ़कर जब छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने समर्थन किया तथा उनसे जुड़े तीनों विधायकों द्वारा लेखराम साहू के पक्ष में वोट डाले जाने की घोषणा की गई तो प्रदेश की राजनीतिक फिजां अचानक से बदलते हुए जान पड़ी। कयास लगने लगे कि कांग्रेस और अजीत जोगी के बीच की दूरी कम हो चली है वहीं बहुजन समाज पार्टी को साधने की कवायद में जुटे पीसीसी अध्यक्ष सहित कांग्रेसियों को भरोसा हो गया कि 90 सदस्यीय विधानसभा में उनके बसपा विधायक केशव चन्द्रा और जोगी कांग्रेस से संबद्ध अमित जोगी, आर.के. राय तथा सियाराम कौशिक के वोट सहित चालीस वोट तो मिलने तय ही हैं। गुरूवार की सुबह तक यही स्थिति नजर आ रही थी। कभी भाजपा में रहे निर्दलीय विधायक विमल चोपड़ा ने पहले ही भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी सरोज पाण्डेय को समर्थन दिए जाने की घोषणा कर दी थी तो वहीं लेखराम साहू ने भी सियासी पासा फेंकते हुए दावा करना शुरू कर दिया कि विधायक के चुनाव में उनके चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी सहित एक ही पार्टी में रहकर सरोज पाण्डेय के विरोधी के रूप में शुमार किए जाने वाले मंत्री का समर्थन उन्हें मिल रहा है। इनके वोट तो कांग्रेस उम्मीद्वार को मिलने से रहे उल्टा जोगी कांग्रेस के जो वोट उन्हें प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से उनके पक्ष में माने जा रहे थे वो तीन वोट भी उनसे दूर छिटक गए। गुण्डरदेही विधायक राजेन्द्र कुमार राय के लेटर पेड पर उनके सहित बिल्हा विधायक सियाराम कौशिक ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग कर दी कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने उनके नेता अजीत जोगी का अपमान किया है इसलिए जब तक वो अजीत जोगी से माफी नहीं मांगते जोगी कांग्रेस से जुड़े तीनों विधायक वोट डालने नहीं जायेंगे। इस बीच भाजपा के पोलिंग एजेंट शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस विधायक अनिल भेडिय़ा के वोट पर आपत्ति जतायी तो वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में अपना अंतिम पासा फेंका और उसके प्रत्याशी लेखराम साहू ने चुनाव आयोग से प्रेमप्रकाश पाण्डेय, रमशीला साहू, बद्रीधर दीवान और अशोक साहू के वोट निरस्त करने की मांग कर डाली। जोगी कांग्रेस से जुड़े तीनों विधायकों को वोट नहीं डालना था सो उन्होंने अपना वोट नहीं डाला और 90 सदस्यीय विधानसभा में कुल 87 वोट ही डाले गए। इस बीच अमित जोगी ने इन सब के लिए कांग्रेस पार्टी को ही जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि वो तो आगे बढ़कर लेखराम साहू को वोट देना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ही उनके वोट नहीं लेना चाहते थे तभी तो पीएल पुनिया ने पार्टी सुप्रिमो अजीत जोगी के लिए जयचंद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। वोटो की गिनती के बाद जो अंतिम स्थिति रही उसके अनुसार भाजपा को उनके 49 विधायक सहित निर्दलीय विमल चोपड़ा का वोट तो मिला ही, बहुजन समाज पार्टी के विधायक केशव चन्द्रा का वोट पाने में भी वे सफल रहे। भाजपा से मायावती की जो दूरी है उसे देखते हुए बसपा विधायक के वोट भाजपा प्रत्याशी को मिलने की कल्पना भी कांग्रेस के रणनीतिकारों ने नहीं की थी वहीं छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत वोटरों को देखते हुए पीसीसी चीफ भूपेश बघेल भी लंबे समय से उन्हें साधने में लगे थे। जांजगीर-चांपा जिले के केरा में आयोजित हसदेव जनयात्रा के समापन अवसर पर उन्होंने हाथी पर सवार लोगों से बीजेपी को हराने हाथ का साथ देने की सार्वजनिक अपील भी की थी ऐसे में बसपा प्रत्याशी का भाजपा के साथ जाना कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों के लिए झटका माना जा सकता है, वहीं हाथ में आए हुए जोगी कांग्रेस के वोटो का भी हाथ से छिटक जाना पार्टी के रणनीतिकारों की रणनीति पर सवाल खड़े करते हैं।

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