
आज बिहनिहा बेरा जब में हर तलाव म असनांद के तलाव पार मं हनुमान जी के मूरति के पूजा करे बर हबरेंव त का देखथंव के हनुमान जी हर अपन जघा म नइ हे। मोर हनुमान जी हर कहां चल दिहिस ? कहां खोजवं अपन हनुमान जी ल। मोला कछु समझ नइ आत रहिस हे। अहि महिना तो हनुमान जी के हैप्पी बर्थडे अवइया हे तेखर तियारी हमन हर कब ले शुरू कर डारे रहे हावन। हमन हर अपन गांव के नेता तीर घलो हबरगे रहेन के ए बखत के हनुमान जी के हैप्पी बर्थडे के दिन बड़ धमाल करना हे। डीजे सीजे म पोठ नाचना हे। पंकज हर तो मुन्नी बदनाम हुइ ले लेके सीला के जवानी तक ए बच्छर के जम्मो ढिंग चीका वाला गाना मन के सूची बना डारे रहिस हे त बईगा हर ओ दिन पेल के का-का खाना है तेनो ल सब ल सुना डारे रहिस हे। बर्थडे तो हनुमान जी के आय फेर मजा हमर होवइया रहिस हे, फेर हनुमान जी हर कहां चल दिहिस ? काखर तीर पूंछव।
हां बैशाखू बबा के घर हर लक्ठा म हावय ओखरे तीर पूछंव, मय हर बैशाखू ल आरो देहेंव, बबा ए बबा, कहां चल देहे ग ? घर म हावस के नहि । काए बता। बैशाखू हर कहिस त मय हर ओला पूछेंव, बबा हमर हनुमान जी ल देखे हावस का ग। देख न ओ हर मंदिर म नइ हे, कहां चल देहे होही? घोर कलजुग आ गे हावय ग। घोर कलजुग। हनुमान जी हर अपन परभु श्री राम तीर गय हो ही अउ पूछत हो ही के परभु घोर कलजुग आ गे हावय त मंदिर म रहना चाही के मंदिर ल जांजगीर के बिशनु मंदिर कस बिन देवता के छोड़ देना चाही।
हनुमान जी ल का दुख हो गे हावय बबा, महीना दू महीना म बंदन तो चढ़ाबेच करत हावन हमन हर, हर शनिच्चर अउ मंगल के नरियर चढ़ाथन त रोंठ के भोग तो बीच-बीच म लगाबेच करथन। हेप्पी बर्थडे म नवा लंगोट घलो चढ़ाथन। ओ तो भगवान ए, ओखर बर काय संसो। मय हर कहेंव त मोर गोठ ल बीच म काटत बैशाखू बबा हर कहिथे, वाह बेटा, अपन रोटी म शुद्ध घी ल चुपरथस अउ रोंठ बनाय बर डालडा, घर म चाय पिबे त चोक्खा गोरस के अउ रोठ म पानी मिलाके गोरस डालबे। कोनो मनखे हनुमान जी म भोग लगाए बर नइ पाय रहय ओला निकलवइया मन हर दूरिहा ले ताकना चालू कर देथे। मंगल अउ शनिच्चर के छोड़ पांच दिन मंदिर हर कोनो मुरहा लइका बरोबर परे रहिथे। बंदन लगा के जाय नइ पावा के गाय अउ कुकुर मन हर चांटे ल चालू कर देथे। खड़ाउ ल बजरंग बली हर पहिर पाइस के नहि तेन तो पता नहि फेर लइका मन हर जरूर गोड़ म डार पूरा पारा मोहल्ला ल घुम के आ जाथे। परसाद हर मंदिर म कम पेट म जादा जाथे। दू चार दिन तो लंगोट वाला हनुमान जी रइहि फेर लंगोट कंहा जाथे पता नइ चलय। घोर कलजुग ए।
बबा, ओ हर गलती ल माफी दिही तभे तो भगवान ए न, हमु मन ओइसनहे रहितेन त हमंू हर भगवान नइ हो जातेन ग। मोर कहना ल सुन बैशाखू हर कहिथे कतेक ल माफी देवय ग हनुमान हर। भगवान कृष्ण हर तो सौ गलती के बाद अपन चक्र ल चला देहे रहिस त इंहा तो गलती उपर गलती होत रहिथे। पहिली मनखे मन हर मंदिर के तीर म हबरय त गोड़-हाथ ल धो पोंछ के मंदिर म आवय अउ दंडवत हो के बजरंग बली के पांव परय फेर नवा जमाना आइस। मनखे मन हर अपन जघा म खड़े-खड़े मुंड ल नवा लिस, आउ कछु नहि त खड़े-खड़े दुआ सलाम कर लिस फेर कालि तो गजब हो गे। समारू के सहर म पढ़वइया टूरी हर गांव आइस त सेंडिल ल पहिरे-पहिरे मंदिर के दरवाजा म हबर गे अउ हनुमान जी ल कहे लागिस, हाय हनु, फाईन, का होगे, रिसाय हस का, मुंह ल फुलाए काहे बइथे हावस। अब बाल ब्रम्हचारी हनुमान जी करा आज काल के टूरी मन अइसे गोठियाही ग। घोर कलजुग आ गे हावय, घोर कलजुग।
जानत हावस त बता डार न बबा, नेता तीर मय हर दसो हजार चंदा के बात कर डारे हावंव मोर बड़ नुकसानी हो जाही ग। हनुमान जी के मय हर अतका संसो काबर करत हाववं तेन ल तो गलती ले बबक डारेंव। त बैशाखू हर कहिथे के तभे मय कहत रहेंव के हनुमान जी के अतेक बड़ भक्त हमर गांव म कहां ले परगट होगे। एक काम कर ना बेटा जिहां दस हजार के नुकसानी उठाय बर परत हे तिहां दस-बीस रूपिया खरचा कर डार, एको ठन पथरा ल नान के ओही म बंदन बूक डार। हमर देस म अइसनहे तो हनुमान जी हर परगट होथे। कोनो तीर गिर हपट के कोनो मर मुरी जाही, कोनो तीर भूतवा परेतवा दिखे के आरो हो जाही त देख दूसर दिन ओ तीर हनुमान जी हर परगट हो जाथे। जिहां देस म अतेक हनुमान उंहा एक आउ नहीं सहीं। तहुं एक ठन परगट कर डार। बैशाखू बबा हर मोला ए गोठ ल सूंटी मारत बरोबर बियंग ले कहे रहिस हे, फेर बबा के गोठ हर मोला जम गे। मय हर अपन कोला म परे एक ठन पथरा म बंदन पोत के मंदिर हबरेंव त का देखथंव के हनुमान जी हर तो अपन जघा म पहिली बनोबर ठाढ़े रहिस हे। मय हर बुन्दरू तीर पूछेंव के ए हनुमान जी तो अभी नइ रहिस हे, केती ले आ गिस त बुंदरू हर बताइस के ओखर बाबू हर कुकरा लाए हे तेन हर हंसिया हर भोथरा गे रहिस हे त कटात नइ रहिस हे। बुंदरू के दाई हर बुंदरू तीर टेवना पथरा मंगाय रहिस हे। बुंदरू ल टेवना पथरा नइ मिलिस त ओ हर हनुमान जी ल धर के चल दिहिस। हनुमान जी म हंसिया ल धार करिस त बड़ धार होगिस। धार करे के पाछू ओ हर हनुमान जी ल ओखर जघा म छोड़े आय रहिस हे। हनुमान जी अउ टेवना पथरा? मय हर सोंचेव घोर कलजुग आ गे हावय। फेर ओतके म मोर हाथ म उठाय हनुमान जी के सुरता आइस त मय हर सोचेंव चल ए बच्छर डबल फायदा हो जाही। अब मय हर ए बिचारे लगंेंव के ए हनुमान ल कोन तीर परगट करवावंव अउ काखर तीर ए हनुमान जी के हैप्पी बर्थडे के चंदा काटंव।