मैं कोई ऐसा गीत गाऊं के आरजू जगाऊं अगर तुम कहो
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जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसट्वंटी-ट्वंटी के अंदाज में स्टेज पर उतरे बालीवुड सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य ने अपने ट्वंटी गीतों के माध्यम से जांजगीर के श्रोताओं का मन मोह लिया। बादशाह मैं बादशाह गाने से अभिजीत ने अपने गीतों का सफर प्रारंभ किया तो वह 20-20 के आखिरी गीत आल द बेस्ट पर समाप्त हुआ। कायक्रम की खासियत यह रही कि अभिजीत ने यहां अपने अलावा किशोर कुमार के गाने की भी हैट्रिक पूरी की।
जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक कृषि मेला के पहले दिन बालीवुड पाश्र्व गायक अभिजीत के गीतों ने जिले के श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया वहीं जिले के शांत श्रोताओं को देखकर अभिजीत भी गदगद होते रहे। कुछ एक मौकों को छोड़कर अभिजीत भी पूरे कार्यक्रम का लुत्फ उठाते रहे। यहां अभिजीत ने अपने एक से एक यादगार गीत सुनाए।
बादशाह बन मंच पर दाखिल हुए अभिजीत
गायक अभिजीत अपने हर कार्यक्रम का शुभारंभ शाहरूख खान की फिल्म बादशाह के टाईटल गीत से करते हैं, जांजगीर में भी अभिजीत आशिक हूं मैं कातिल भी हूं, सबके दिलों में शामिल भी हूं, दिल को चुराना नींदे उड़ाना बस यही मेरा कसूर, वादों से अपने मुकरता नहीं मरने से मैं कभी डरता नहीं बादशा मैं बादशाह गाते हुए मंच पर दाखिल हुए उसके बाद अभिजीत ने छत्तीसगढ़ के श्रोताओं की तारीफ करते हुए संजयदत्त की फिल्म खूबसूरत का शीर्षक गीत बड़ी ताजा खबर है कि तुम खूबसूरत हो सुनाया। अभिजीत के शुरूआती दो गीतों से ही दर्शक पर अपने लोकप्रिय गायक की खुमारी चढ़नी प्रारंभ हो गई थी तथा दर्शकों ने धड़कन और ओले-ओले की फरमाईश प्रारंभ कर दी थी लेकिन अभिजीत उन गानों को आखरी दौर के लिए बचाकर रखे रहे। संजय दत्त के गानों के बाद अभिजीत एक बार फिर से शाहरूख के गीतों की ओर वापस लौटे और अंजाम फिल्म का गीत बड़ी मुश्किल है खोया मेरा दिल है कोई उसे ढूंढ के लाओ न, बिल्लू बारबर का गीत खुदाया खैर, यश बाॅस के गीत चांद तारे तोड़ लाऊं सारी दुनिया को झुकाऊं बस इतना सा ख्वाब है, फिल्म चलते-चलते का गीत तौबा तुम्हारें ये ईशारे सुनाया। एलबम तेरे बिना के गीत कभी यादों में आऊं कभी ख्वाबों में आऊं, चलते-चलते के गीत सुनो ना सुनो ना सुन लो न, मैं हूं ना के तुम्हें जो मैंने देखा, धड़कन के तुम दिल की धड़कन में रहती हो, यश बास के मैं कोई ऐसा गीत गाऊं, तेरे बिना एलबम के चलने लगी है हवाएं सागर भी लहराए, सैफ अली की ये दिल्लगी के गीत जब भी कोई लड़की देखूं मेरा दिल दिवाना बोले ओले-ओले गाने के बाद अभिजीत ने कोई हीरो यहां कोई जीरो यहां आल द बेस्ट गीत से सुरीली रात का समापन किया।
किशोर के गानों की हैट्रिक
जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव के मंच पर अभिजीत ने अपने चुनिंदा लोकप्रिय गीत तो गाए ही वहीं उन्होंने अपने फेवरेट गायक किशोर कुमार के तीन अलग-अलग स्टाईल के गाने की हैट्रिक भी पूरी की। किशोर कुमार के गीतों में अभिजीत ने सबसे पहले परिचय का गीत मुसाफिर हूं यारो न घर है ठिकाना गाया उसके बाद कालेज के दिनों की यादें ताजा करते हुए सहगायिका जाॅली के साथ जवानी-दीवानी का गीत जाने जां ढूंढता फिर रहा हूं तुम्हें रात दिन मैं यहां से वहां गाया तो वहीं कायक्रम के समापन दौर में दो गीत पहले लोक संगीत पर आधारित ओ माझी रे अपना किनारा नदिया की धारा है गाया। अभिजीत ने अपने लोकप्रिय एलबम तेरे बिना, फिल्म चलते-चलते और यश बास के दो-दो गीत सुनाए।
छत्तीसगढि़या सबसे बढि़या
एक गीत बाद से ही अभिजीत का छत्तीसगढि़या सबले बढि़या नारा प्रारंभ हो गया था जो आखिरी तक चला। एक दौर ऐसा भी आया जब उन्होंने छत्तीसगढि़या सबसे बढि़या को अलग-अलग अंदाज में गीतों के रूप में लोगों को सुनाया। अभिजीत यहां के श्रोताओं की तारीफ करते रहे तो वहीं वे इस बात की शिकायत भी करते रहे कि इतने वर्षो से चल रहे इस ऐतिहासिक महोत्सव में उन्हें इतने विलंब से याद किया गया। ओले-ओले और धड़कन के श्रोताओं की अलग-अलग टोली बनाकर भी अभिजीत दर्शकों से लगातार जुड़े रहे और उनका मनोरंजन करते रहे।
रेडियो को बताया गुरू
गाने के अपने शौक, जुनुन और अपने गुरू को याद करते हुए अभिजीत ने रोचक जानकारी दी कि पड़ोसी के घर बजने वाला मरफी रेडियो ही उनका गुरू रहा जिसकी बदौलत उन्हें कुंदन लाल सहगल, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, लता मंगेशकर जैसे सारे महान गायक-गायिकाओं के गीत एक ही जगह पर सुनने को मिली। अभिजीत ने बताया कि उनके पिताजी का मानना था कि घर में रेडियो होने से बच्चे बिगड़ जाते थे इसलिए उनके घर में रेडियो भी नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्होंने किशोर कुमार के समय में ही गाना प्रारंभ कर दिया था तथा लता मंगेश्कर के साथ भी उन्हें गाने का अवसर मिला।
बीबी के लिए ले गए कोसा सिल्क
अभिजीत ने कहा कि जांजगीर से कार्यक्रम कर घर जाने पर पहली बार उन्हें डांट नहीं खानी पड़ेगी तथा बीबी को सफाई भी नहीं देनी पड़ेगी क्योंकि वो बीबी के लिए कोसा सिल्क लेकर जा रहे हैं जिसे पाकर वो खुश हो जाएगी।
कभी डिस्टर्ब तो कभी हैरान हुए अभिजीत
कार्यक्रम के दौरान कई बार अभिजीत डिस्टर्ब होते रहे। अभिजीत सबसे ज्यादा डिस्टर्ब मीना बाजार की ओर से आते तेज आवाज से हुए। मंच से कई बार उन्होंने मीना बाजार की ओर से आ रही आवाज को बंद कराने की गुजारिश की तो वहीं यह तक कहा कि पहले उनका सुन लो तब तक वो चुप रहते हैं। पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल जब कार्यक्रम में पंहुचे उसके बाद उनके बैठने के लिए सोफे का इंतजाम किया गया उस समय भी अभिजीत ने कुछ पलों के लिए कार्यक्रम को रोक दिया और उनसे आवाजाही रोकने की गुजारिश करते रहे। सामने वीआईपी दीर्घा में बार-बार चाय-बिस्कीट के लिए हो रही आवाजाही से भी उनकी तंद्रा भंग होते रही तथा वो उसे बंद कराने की बातें करते रहे। एक बार उन्होंने उस पर भी कड़े संदेश देते हुए कहा कि बीच में खाने का सामान उनके सामने न लाए क्योंकि उन्हें भी भूख लगती है तथा वो भी गाना छोड़ खाने लग जायेंगे। मरफी रेडियो को अपना गुरू बताने के बाद अभिजीत ने किशोर कुमार का गाना मुसाफिर हूं यारो गाकर सुनाया उसके बाद रेडियो की तर्ज पर ही डा. परस शर्मा की ओर से उद्घोषणा हुई कि अभी आप बालीवुड गायक अभिजीत भट्टाचार्य को सुन रहे थे। अचानक हुई इस उद्घोषणा से अभिजीत हतप्रभ तो उसके साथ आए म्यूजिशियन अवाक रह गए। तब तक अभिजीत बमुश्किल आधा दर्जन गीत ही गा पाए थे। उस समय कार्यक्रम को बीच में रोककर अतिथियों द्वारा अभिजीत को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया तथा उदघोषक ने भी अपनी गलती सुधारते हुए कहा कि अभिजीत अभी उन्हें और गीत सुनायेंगे।