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टेक्नोलाजी के कमाल से बेसुरों को मिलेगा मौका: अभिजीत

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अभिजीत से खास मुलाकात


जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस


पहले सिंगिंग का प्लेटफार्म छोटा था। किशोर कुमार, लता मंगेश्कर, आशा भोसले, मोहम्मद रफी के बाद बचे थोड़ी सी जगह पर सोनू निगम, अल्का याज्ञनिक जैसे गिने चुने लोग ही आ सकते थे। आज प्लेटफार्म बड़ा है जितने बेसूरे हैं उनको मौका मिलेगा। टेक्नालॉजी से बेसुरों के लिए भी एक नया प्लेटफार्म बन गया है। आज कौए की कांव-कांव भी कोयल की कूक बन गई है। ऐसा साफ्टवेयर व सिस्टम से हो रहा है। रियल तो मां के खाने के समान है। आजकल रेडिमेड खाने की तरह भी गाने होने लगे है। उक्त बातें सर्किट हाऊस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पाश्र्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने कही।

जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव में स्टार नाइट में प्रस्तुति देने मुंबई से पहुंचे अभिजीत ने सर्किट हाऊस में कार्यक्रम से पहले कहा कि हिंदी फिल्मो के गाने और संगीत पर लगातार बदलाव आ रहा है, लेकिन हर दौर में अच्छा और बुरा होता है। उनके समय में भी लोग कहते थे कि केएल सहगल का जमाना अच्छा है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग उनको और उनकी गायकी को पसंद करते है पर बहुत से लोग ऐसे भी जो पसंद नहीं करते पर ऐसे लोगों की परवाह किए बगैर वे काम कर रहे है। अभिजीत ने कहा कि आज संगीत और गायकी का ऐसा दौर है कि लोग आते है और जाते है। ऐसे में कुछ अच्छे कलाकारों की अहमियत बरकरार है। उन्होंने कहा कि किशोर कुमार के समय में ही उन्होंने उन सा बनने का सपना देखा था और उनके समय में ही उन्होंने गाना प्रारंभ कर दिया था। अभिजीत ने बताया कि जब भी कभी उनके पास छत्तीसगढ़ से किसी शो का आफर आता है तो वे प्राथमिकता में लेते है। क्योंकि जबलपुर में उनके ताऊ रहते थे तथा अविभाजित मध्यप्रदेश में वे वहां काफी वक्त बीताते थे जिससे उन्हें इस क्षेत्र से बचपन से ही लगाव रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ व बंगाल उनके दो सबसे पसंदीदा स्थान है। अभिजीत ने बताया कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद बनी पहली फिल्म में उन्होंने छत्तीसगढ़ी गाना गा चुके हैं। तथा वे तीन साल से लगातार छत्तीसगढ़ में कहीं न कहीं किसी न किसी कार्यक्रम में प्रस्तुति देने पहुंच रहे है। कंट्रोवर्सी में अभिजीत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी व राहुल गांधी जैसे लोगों के साथ भी कंट्रोवर्सी जुड़ा है, लोग महात्मा गांधी और नेताजी का नाम भी जोड़ते रहते हैं ऐसे में अगर अभिजीत के साथ कोई कंट्रोवर्सी होती है तो इसमें क्या खास बात है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के बारे में कहा कि यहां आज भी लोगों ने अपने संस्कार बचा के रखा है। बचपन में वो भी मां-पिताजी के साथ मेला घूमने जाते थे तथा मक्खी लगे खाजा-गुड़ को खा लेते थे तथा घर पंहुचकर मार भी खाते थे।



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