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मुस्कुराता हुआ जो गुलाल आया

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रमेश सोनी

मुस्कुराता हुआ, जो गुलाल आया
मुझे तेरा, बहुत ही खयाल आया।

हम जहां से जिधर भी गुजरने लगे
दीवाना हमें लोग कहने लगे
पूरे मौसम पे, अपना क्या जादू हुआ
देख हमको सभी आहें भरनें लगे
पास मेरे तेरा जो रूमाल आया।

दिल के भीतर नशा जैसा छाने लगा
मजा सचमुच में जीने का आने लगा
चाहतों के हरेक आशियानें को मैं
अपने कोमल करों से सजाने लगा
चल के होठांें पे फिर एक सवाल आया।

जिन्दगी यह लहर की रवानी हुई
चांदनी जैसी मीठी कहानी हुई
मुझ पे खुशबू की इतनी इनायत हुई
सांस महकी हुई रात रानी हुई
फिर सीनें में हल्का उबाल आया।

मुस्कुराता हुआ, जो गुलाल आया
मुझे तेरा, बहुत ही खयाल आया।

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