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समोसे की दुकान

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बाल कहानी मुस्कान सिंह क्षत्री शिव मंदिर, नहर किनारे, वार्ड नं. 8 जांजगीर छ.ग.
बहुत समय पहले एक गांव में दो भाई रहते थे। वे एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। उनका गांव में ही समोसे का छोटा-सा दुकान था। एक भाई समोसे बनाता और दूसरा भाई उसे सभी को देता था। दोनों भाई की जिंदगी अच्छे से चल रही थी। उनकी कमाई अच्छी हो रही थी। एक दिन वो अपनी दुकान में थे, तभी बड़े भाई ने छोटे भाई से कहा कि क्यों न हम अपने समोसे का दाम बढ़ा कर उसे बेचे तो हमारा मुनाफा अधिक होगा, लेकिन छोटे भाई ने मना कर दिया। तब बड़े भाई ने सोचा कि क्यों न मैं छोटे को बिना बताए ही दाम बढ़ा लूं।
बड़े भाई ने छोटे भाई को समोसे बनाने के लिए कहा। छोटे भाई ने उसकी जगह समोसा बनाना शुरू किया। उनके समोसे को खाने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे लेकिन बड़े भाई के दाम बढ़ाने के कारण धीरे धीरे लोगों का आना कम होते गया जिससे कुछ दिनों बाद ही उनका मुनाफा धीरे-धीरे कम हो गया। तो छोटे भाई ने बड़े भाई से पूछा, भईया आजकल हमारे दुकान में ज्यादा लोग नहीं आते, क्या आपने दाम बढ़ा दिया है ?
बड़े भैया ने बताया कि हां छोटे, मैंने दाम बढ़ा दिया है। तो छोटे भाई ने कहा, भैया मैंने तो आपको कहा था कि दाम मत बढ़ाइए लेकिन आपने मेरी नहीं सुनी। अब तो हमारे पास पहले से भी कम पैसे आते हैं। उसके बाद बड़े भाई को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर उन्होंने दुकान के समोसे का दाम कम कर दिया। फिर उसके दुकान में पुराने ग्राहक आने शु़रू हो गए और उनका व्यापार धीरे से बढ़ गया। थोड़े दिनों में उनकी छोटी सी दुकान एक बड़े रेस्टोरेंट में बदल गई।

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