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व्यंग्य : तुम्हें कोई और देखे तो जलता है दिल ...

राजेश सिंह क्षत्रीये जलने जलाने का रोग सदियों पुराना है। राजा दशरथ की मंझली रानी कैकैई को यदि बड़ी रानी कौशिल्या से जलन नहीं होती तो भगवान राम को चौदह बरस का वनवास नहीं होता। महाभारत के तो मूल में ही जलन है। द्रोपदी दुर्योधन को छोड़ पांडवों की पत्नी कैसे बन गई, दुर्योधन के इसी जलन ने पूरा महाभारत करवा दिया। बच्चों के पास चाहे उनके अपने जितने भी खिलौने हो, पर दूसरों के खिलौने को देखकर हमेशा जलन होती है, काश ये गुडिय़ा मेरे पास होती ... ! स्कूल पंहुचे तो दूसरे प्रकार की जलन, अरे उसके पापा उसे रोज छोडऩे आते हैं, मुझे तो स्कूल वेन में आना पड़ता है ...! जलन की भावना महिलाओं और युवतियों में कुछ ज्यादा मानी जाती है, अरे उसके तीन-तीन ब्वायफ्रेण्ड हैं ... उसे तो रोज कोई न कोई मूवी दिखाने वाला मिल जाता है ... फोकट में कौन दिखाता है, पूरा पैसा वसूल भी कर लेता होगा ... ! अरे उसकी साड़ी का कलेक्शन देखे हो, जब भी घर से निकलती है नई साड़ी ही पहने होती है। महिलाओं की आधे से ज्यादा शापिंग तो खुद के लिए कम और पड़ोसन को जलाने के लिए ज्यादा होता है। और तो और टीवी में चलने वाले विज्ञापन भी जलन को ही बढ़ावा देते हैं, उसकी कमीज मेरी कमीज से सफेद कैसे है ...! आजकल सूरज भी लोगों को जलाने में पीछे नहीं है तभी तो आसमान से आग उगल रहा है, तुम्हारें यहां टेम्परेचर कितना है 42, मेरे यहां तो 45 है रे, कूलर क्या आजकल तो एसी भी कोई काम का नहीं रहा। ऊपर से बिजली संकट, जब मरजी आए आई जब मरजी आई चली गई ! ऐसा लगता है जैसे सरकार फोकट में बिजली बांट रही है, हम तो कभी बिजली बिल पटाते ही नहीं। लोगों को जलाने में सरकार भी कोई कसर नहीं छोड़ रही, मंहगाई आसमान छू रही है। पेट्रोल 110 पार कर गया है तो वहीं रसोई गैस के दाम सात साल में ही दोगुने से ज्यादा हो गए हैं। दो सप्ताह पहले दस रूपए किलो में बिकने वाला टमाटर पचास पार होकर अलग अपना मुंह लाल किए हुए है। सरकार को पता है लोगों के किस जलन को कैसे कम किया जा सकता है इसलिए मंहगाई के जलन पर मरहम लगाने हनुमान चालिसा और लाउडीस्पीकर रूपी एसी चल रही है। अब जनता भी अपना जलन भूल सरकार के साथ है। उसे भी लगने लगा है रूस ने यदि यूके्रन पर आक्रमण नहीं किया होता तो देश में मंहगाई बिल्कुल नहीं बढ़ती। जलते तो पुरूष भी कम नहीं हैं, पर उनकी जलन महिलाओं से कुछ अलग प्रकार की होती है। मेरे एक मित्र ने अपने एक रिश्तेदार के घर जाना छोड़ दिया है, उसके रिश्तेदार ने उनसे अच्छा मकान जो बनवा लिया है। मेरे एक अन्य मित्र को बाकी मित्रों की बीबीयों को देख जलन होता है, उसे लगता है भगवान ने उसके सब दोस्तों को उससे ज्यादा सुंदर पत्नी दी है। नया जमाना सोशल मीडिया का है इसलिए मेरी जलन भी कुछ सोशलयाना है, मुझे किसी की डीपी देखकर जलन होती है, वो भी मेरी जलन से वाकिफ है तभी तो कभी कभी दिन में तीन बार बदलने वाली उसकी डीपी पिछले पन्द्रह दिनों से नहीं बदली है, इधर ये दिल जलकर राख तो कब का हो चुका है पर शायद उसे इस शरीर को भी जलकर राख होते हुए देखना है। उसकी जिद भी केन्द्र सरकार की तरह लगती है जो किसी भी सूरत में विपक्ष के आगे झुकने को तैयार नहीं है। उसे तो हमेशा विपक्ष के कहे से उल्टा ही करना है फिर चाहे विपक्ष सही कह रहा हो या गलत। हमारी फिल्मों में केएल सहगल से लेकर मुकेश तक और राजेश खन्ना से लेकर किशोर कुमार तक सब जलते ही रहे हैं। मैं न राजेश खन्ना हूं और न किशोर कुमार फिर भी उसे कहता हूं, तुम्हें कोई और देखे तो जलता है दिल, बड़ी मुश्किलों से फिर सम्हलता है दिल, क्या-क्या जतन करते हैं तुम्हें क्या पता ...!लेखक दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के प्रधान संपादक है। राजेश सिंह क्षत्री, लिंक रोड जांजगीर, जिला जांजगीर चांपा छ.ग. मो. 74894 05373

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