राजेश सिंह क्षत्री
ठाकुर, ए पेपरवाला मन ल का हो गे हावय ? जउन पाथे तउन अनाप-सनाप छापत रहिथे। अब देख न कालि के पेपर म छाप देहे रहिस हे, के कोलकाता टीम सबले डोकरा टीम। आइपीएल ल चालू होय छय बच्छर होत हे अउ एमन हर अइसन लिख देहे हावय जइसे ओखर खेलाड़ी मन के जमो दांत टूट गे हावय अउ ओमन लउठी धर के रेंगत हावय। दूसर दिन ओही पेपर छापत हे के राजनाथ के टीम सबले जवान। अउ कतका जवान ? एक दू झन ल छोड़ के जमो पचास पार। अइसे लागथे जइसे इंखर होली के भांग के नसा हर अभी ले नइ उतरे हावय। बिहनिहा-बिहनिहा तलाव पार म मोला देख के दतुअन के चीरी उपर गुस्सा ल उतारत बेैशाखू ल देखेंव त मय समझ गेंव के पेपर वाला मन एखर फेवरेट टीम ल डोकरा कहत हे त एला खीख लागत हे। अब कोन डोकरा अपन आप ल डोकरा कहलाना पसंद करथे।
मय हर बैशाखू ल समझात कहेंव, बैशाखू, डोकरा के परिभाषा जमो जघा एकेच नइ रहय, समय अउ इस्थान के अधार म ओ हर बदलत रहिथे। कभू-कभू तो एके जघा म मनखे-मनखे ल देख ओखर परिभासा हर बदल जाथे। अब देख न चालिस पार सलमान हर सलिमा के भासा म जवान हे अउ कभू सलमान के उपर बिजली बन के गिरवइया संगीता बिजलानी ह डोकरी होगे हावय। चालीस पार सलमान के आघू-पाछू घुमत छोकरी मन कहत रहिथे, हाय जवान, मोर तीर बिहाव कर ले ना। ओही तीर कोनो छोकरी तीस बच्छर के हो जाथे त दुनिया कहे लागथे, ए तो डोकरी होगे, एखर तीर बिहाव कोन करही। देख न, फिल्मी दुनिया म अमरीता सिंग ल डोकरी माने जाही अउ ओखरे संगे-संग पिच्चर म अवइया सनी देवल हर अभी ले जवान हे, इंहा तक ओखर सित्तोन के घरवाला सेफ हर अपन आप ल जवान मानत अभी-अभी करीना तीर बिहाव करे हावय। रहिस गोठ कोलकाता टीम के त ए बखत ओखर एक कम एक दरजन खेलाड़ी मन हर दस आगर एक कोरी बच्छर के हो गे हावय त ओमन ल डोकरा कहे गे हावय। काहे कि किरकेट म तीर पार खेलाड़ी मन ल डोकरा कहे जाथे। खेलाड़ी मन के उमर तीस बच्छर होय नइ पाय के मनखे मन हर ओला डोकरा मान के टीम ले बाहिर करे बर चिल्लाय लागथे। कहे लागथे के ए हर अब पहिली कस जवान नइ रहि गे हावय, डोकरा हो गे हावय। जवान मन ल मउका देना चाही। फेर ओ हर किरकेट के भगवान सचिन रहय के कोनो आउ। अब देख न खेल-खेल म घलो अंतर हावय। जेन उमर म हमर देस म किरकेट टीम म खेलाड़ी मन हर देस बर खेले ल चालू करथे तेन उमर म अमरीका म लोकप्रिय बिमबलडन म खेलाड़ी मन डोकरा हो जाय रहिथे। जइसन हमर खेल वइसन हमर रिस्ता। कभू जवानी म मनखे डोकरा जाथे अउ कभू डोकरा मन म जवानी फिर आथे। सोले पिच्चर के सुरता हावय न, जवान ठाकुर ल बबा बलात लइका मन ल देख के ओखर संगी हर पूछ डारथे के तोर उमर बबा बने के तो दिखत नइ हावय त ठाकुर हर ओ मन ल समझात कहिथे के गांव म रहेंव त मोर बिहाव जल्दी हो गे रहिस हे, बिहाव जल्दी होइस त लइका घलो जल्दी होगिस, महूं अपन लइका मन के जल्दी बिहाव कर देहेंव त उखरों जल्दी लइका होगिस। अब तय हर मोही ल देख न। गांव के कतका झन नता के कका मन हर मोर ले छोटे हावय। मोर कका मोर लइका मन के बबा हो जाही। अब जब मोर कका मन के बिहाव होही अउ काकी गांव म आही त मोर लइका मन जा के ओला दाइ कइही। पहिली-पहिली तो दाइ सुन के नवा नवरिया बहू ल घलो सोचे बर पर जाही के ओखर बिहाव कोनो डोकरा तीर तो नइ हो गे हावय। मय हर बैशाखू ल समझात कहेंव।
फेर ठाकुर, राजनाथ के पचास पार टीम हर जवान कइसे होइस, जबकि ओखर टीम म रिकाड बना के अवइया सबले जवान बरून गांधी हर घलो हमर किरकेट के भगवान सचिन के बरोबर हे जेला जमो डोकरा-डोकरा कहत फिरथे ? आंखी-मुंह धोय के पाछू तरिया म असनांदे बर उतरत-उतरत ठहर के बैशाखे हर मोर तीर फेर पूछे ल धर लिस।
अब मय बैशाखू ल का समझांव ? अब जेन किरकेट खाही, खिरकेट ओढ़ही, किरकेट पहिरही तेन ल किरकेट खेलाड़ी मन ल डोकरा कहे म गुस्सा तो आवत होही। मय हर बैशाखू ल समझात कहेंव, देख बैशाखू, जब तोर पसंद के किरकेटर मन ल डोकरा कहे म तोला अतका गुस्सा आवत हावय त सोच ओ किरकेटर मन ल कतका गुस्सा आवत होही। तोर सचिन ल देख न जमो अभी ले डोकरा-डोकरा कहिथे तभे तो ओहर राजनीति म आगे। काहे कि जेन उमर म किरकेट म खेलाड़ी मन डोकरा हो जाथे तेन उमर के मनखे मन ल राजनीति के खेल म लइका कहिथे। किरकेट म सचिन हर भले ही रिटायर हो के अपन लइका ल उतरवइया हे फेर राजनीति म तो ओहर लइका हे, राजनीति म मनखे मन चालीस पार होय के पाछू जवान होय ल चालू होथे, जइसे हमर राहुल गांधी हर जवान हे, अभी बिहाव नइ करे हे। अउ बीस-तीस बच्छर तक आउ जवान रहिथे जइसे हमर रमन सिंग, सिवराज सिंग, चरनदास ए सब मन हर जवान हे। राजनीति म जब तक हाथ गोड़ चलथे मनखे मन हर जवानेच रहिथे। फेर भले ही ओखर लइका मन हर किरकेट खेलाड़ी बनतिस त ओहू मन हर डोकरा बन जातिस फेर राजनीति म डोकरा-डोकरी तो कोनो होबेच्च नइ करय। तभे तो जब मनखे मन हर अपन-अपन फिल्ड म डोकरा-डोकरी हो जाथे त ओमन हर राजनीति म आके जवान बन जाथे। फेर ओ हर किरकेट के सचिन रहय के सलीमा के हेमा मालनी अउ जया परदा। अब अइसन म पेपर वाला मन हर जवान ल जवान नइ कइही त आउ का कइही।
मय बैशाखू ल का समझाएंव मोला खुदे समझ नइ आइस फेर अइसे लागिस के मोर गोठ ल बैशाखू हर थोर-थोर समझत रहिस। ओहर मोला कहिस, ठीक कहिथस ठाकुर, तोर भउजी हर मोला डोकरा-डोकरा कहत रहिथे, ए चुनाइ ले महूं राजनीति म उतर जाथंव, फेर महूं देखथंव के ओ हर मोला डोकरा कइसे कहि पाथे।