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सियासत : जिलाध्यक्ष बनने की उम्मीद पाले नेताओं को जोर का झटका जोर से लगा

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संतोष-गीतांजली की जोगी के प्रति निष्ठा पड़ी अन्य नेताओं पर भारी

राजेश सिंह क्षत्री
जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस



Santosh Gupta
छत्तीसगढ़ के 27 जिलों के लिए 40 जिलाध्यक्षों की घोषणा करते हुए अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी में जांजगीर-चांपा जिले को संगठन के तौर पर जांजगीर और सक्ती दो पृथक-पृथक जिले में बांटते हुए जांजगीर-चांपा जिलाध्यक्ष के पद पर संतोष गुप्ता और सक्ती जिलाध्यक्ष के पद पर श्रीमती गीतांजली पटेल की नियुक्ति की। श्री गुप्ता और श्रीमती पटेल की नियुक्ति से जोगी कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनने की चाहत लिए नेताओं को जोर का झटका जोर से लगा यही वजह रही कि अजीत जोगी के भड़ेसर आगमन पर जोगी के साथ होते हुए भी इन नेताओं के चेहरे से रौनक गायब रही। गीतांजली पटेल और संतोष गुप्ता की अजीत जोगी के प्रति निष्ठा अन्य नेताओं की निष्ठाओं पर भारी पड़ी।
Gitanjali Patel
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के जांजगीर-चांपा और सक्ती जिलाध्यक्ष पद पर संतोष गुप्ता और गीतांजली पटेल की नियुक्ति से इस पद की चाहत लिए जोगी कांग्रेस में शामिल नेताओं के चेहरे पर मायूसी साफ नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस में शामिल अधिकांश नेता जहां अजीत जोगी के प्रति निष्ठा के चलते इसमें शामिल हुए वहीं कुछ एक नेता पद और टिकट की चाहत लिए इसमें जुड़े इनमें वे नेता भी शामिल रहे जो अजीत जोगी के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें कोसते रहे तथा विद्याचरण शुक्ल के कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर उनसे जुड़ेे रहे। वहीं अजीत जोगी के मुख्यमंत्रित्व काल में जोगी के कट्टर समर्थक समझे जाने वाले नेता संगठन में जोगी की लगातार उपेक्षा को देखते हुए कुछ समय के लिए अन्य नेताओं के गुट में चले गए वे भी अजीत जोगी के द्वारा पार्टी के गठन के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी का झंडा थामें नजर आए। ऐसे तमाम नेताओं की निष्ठा पर संतोष गुप्ता और गीतांजली पटेल की निष्ठा भारी पड़ी जिसकी वजह से उन्हें जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई।

जोगी के सबसे करीबी लोगों में से एक है गुप्ता-गीतांजली

वैसे तो जोगी कांग्रेस के नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ता भी अपने आपको अजीत जोगी का सबसे करीबी बताते हुए गर्व का अनुभव करता है वहीं संतोष गुप्ता और गीतांजली पटेले अजीत जोगी के सर्वाधिक करीबी लोगों में से एक हैं। गत विधानसभा चुनाव से पहले ही अजीत जोगी ने मिनीमाता सम्मेलन के बहाने डभरा पंहुचने पर उसे कांग्रेस प्रत्याशी घोषित कर दिया था हालांकि बाद में गुटीय राजनीति के चलते कांग्रेस की ओर से वहां नोबेल वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया था वहीं छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के गठन के बाद गीतांजली पटेल इसमें शामिल हो गई जिसके बाद जोगी कांग्रेस के लिए उन्होंने महानदी में जल सत्याग्रह किया तो वहीं अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन पार्टी की ओर से रायपुर में विधानसभा घेराव को निकले रैली में शामिल होकर पुलिस की लाठी भी खाई तथा रायपुर में हास्पिटल में भर्ती रही जिनका कुशलक्षेम जानने स्वयं अजीत जोगी हास्पिटल पंहुचे। सक्ती क्षेत्र से कभी अजीत जोगी के कट्टर समर्थकों में शुमार किए जाने वाले देवेन्द्र अग्रिहोत्री ने अभी तक जोगी कांग्रेस में प्रवेश नहीं किया है ऐसी स्थिति में सक्ती क्षेत्र से जोगी कांग्रेस में गीतांजली पटेल से बड़ा कोई भी नाम नहीं था जिसे इतनी महत्वपूर्ण जवाबदारी थमायी जा सके। यही वजह है कि गीतांजली पटेल के चुनाव मैदान में उतरने की संभावनाओं के बाद भी उन्हें सक्ती जिलाध्यक्ष बनाया गया है। दूसरी ओर जांजगीर-चांपा जिले में आधा दर्जन से भी ज्यादा लोग अपने आपको जिलाध्यक्ष की रेस में शामिल समझ रहे थे जो जिले में संतोष गुप्ता से ज्यादा चर्चित रहे हैं। संतोष गुप्ता की जिलाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति से ऐसे नेताओं को निराश होने के स्थान पर खुश होना चाहिए क्योंकि विधानसभा चुनाव के समय भी संतोष गुप्ता चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे क्योंकि उनका पामगढ़ विधानसभा अजा आरक्षित है। संतोष गुप्ता की अजीत जोगी से घनिष्ठता समझनी हो तो गत नगरीय निकाय चुनाव पर नजर डालनी होगी जब संगठन से हुए विवाद के बाद अपने अधिकांश समर्थकों को टिकट नहीं मिलने से नाराज अजीत जोगी ने नगरीय निकाय में चुनाव प्रचार नहीं करने की बात कही थी तथा अपने समर्थकों के चुनाव प्रचार के आग्रह को विनम्रता पूर्वक अमान्य कर दिया था उसके बाद भी राहौद पंहुचकर उन्होंने संतोष गुप्ता के लिए वोट मांगा था।

पामगढ़ में जीतने की संभावना देख रहे जोगी

नए पार्टी के गठन के बाद से ही अजीत जोगी छत्तीसगढ़ में सभी 90 विधानसभा में प्रत्याशी खड़े करने तथा सरकार बनाने का दावा करते रहे हैं और इसी के आधार पर वो अपनी व्यूह रचना तैयार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की सर्वाधिक पकड़ अनुसूचित जाति के लोगों में मानी जाती है यही वजह है कि वो सबसे ज्यादा जीत की संभावना इन्हीं सीटों में देखते हैं। जांजगीर-चांपा जिले में जीत की सर्वाधिक संभावना उन्हें अजा आरक्षित पामगढ़ सीट पर ही दिखाई पड़ रही है क्योंकि इस सीट पर आजादी के बाद से पहली बार अंबेश जांगड़े के रूप में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है जिसके खिलाफ चुनाव में नकारात्मक वोट पडऩे की संभावना है तो वहीं उससे पहले लगातार इस सीट पर बसपा के विधायक बनते रहे हैं जो वर्तमान स्थिति में थोड़ी कमजोर नजर आ रही है वहीं इस अवधि में इस सीट पर कांग्रेस की ओर से जीत का स्वाद अजीत जोगी के समर्थक रहे मंहत राम सुंदर दास ने ही चखा है यही वजह है जोगी कांग्रेस के युवा संगठन की बागडोर पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता के हाथों में सौंपने के बाद जिलाध्यक्ष भी इसी क्षेत्र से बनाया गया है वो भी उस व्यक्ति को जो चुनाव में खड़े न होकर अपनी पूरी उर्जा पार्टी प्रत्याशी की जीत में लगा सके।

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