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नाज-ओ-अदा तुम दिखाती बहुत हो। राजेश सिंह

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मुझकोभीपताहैकिजीनतहोतुम।
परयारतुमभावखातीबहुतहो।।
समझतामैंतुमकोखामोशीकीमूरत।
परतुमजराइतरातीबहुतहो।।
भावनामेंबहजाऊंडरताहूं‘‘राज’’
नाज--अदातुमदिखातीबहुतहो।।
समझनेदेतीजराभीतुमखुदको।
मनातीतोहोपरसतातीबहुतहो।।
मैंचाहताहूंतुममेरीहीबनना।
परतुमजरादेरलगातीबहुतहो।।
दिलकीहैख्वाहिशतुमसेबातेंकरना।
परतुमनखरेदिखातीबहुतहो।।
कहतीहोतुमकोदेखाकरूंमैं।
परसपनोंमेंतुमआतीबहुतहो।।
तूंहीबतादेहैतेरीक्यामर्जी।
रातोंकोनींदोंसेजगातीबहुतहो।।
कहनाचाहतीहोतुमदिलसेकुछऔर।
परलहज़ोंमेंऔरकहजातीबहुतहो।।
फिरभीतुमलगतीहोसबसेहीप्यारी।
भलेहीमुझकोतड़पातीबहुतहो।।

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