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Diwali Sms
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Dipawali Sms
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बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ में दैनिक समाचार पत्र की फ्रेंचाइजी देना है
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Chhattifgarh Express Franchise |
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अपना पैसा कहां इन्वेस्ट करूं
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chhattisgarh express |
नरेन्द्र मोदी के द्वारा 5 सौ और एक हजार रूपए के नोट बंद किए जाने के बाद आज हर कोई इस बात को लेकर परेशान है कि वो अपने पास रखे पैसे का क्या करें, अधिकतर आम भारतीय का पैसा कालाधन नहीं है क्योंकि वो न ही अवैध तरीके से कमाया गया है और न ही वो एक वित्तीय वर्ष में जमा किया गया है, भारत में लोगों की आदत किसी भी चीज को सहेजकर रखने की रही है और बहुत सारे लोग बैंक के सीमित ब्याज सहित अन्य पारिवारिक कारणों से भी अपने पैसे को घर में ही सेफ रखना बेहतर समझते रहे हैं ऐसे में अचानक बड़े नोटों के बंद होने से परेशानी का अनुभव हो रहा है। अगर आप के पास भी पैसा है तो आप उसका उपयोग कई स्थानों पर कर सकते हैं, उसमें से एक उपाय आप हमारे अखबार छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस की फेंचाइजी लेकर भी अपने थोड़े से रकम का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप दैनिकछत्तीसगढ़ एक्सप्रेसके संपादक से उनके मोबाइल नंबर 7489405373 पर संपर्क कर सकते हैं।
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एक महीने में 12 हजार हिट्स, अच्छा या खराब पता नहीं ...
दीपावली के दिन हमने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसके ईपेपर www.chhattisgarhexpress.comका शुभारंभ किया था। नवंबर बीतने और दिसंबर की पहली तारीख के आगमन के साथ ही हमारे ईपेपर का एक माह का सफर पूरा हुआ।ईपेपर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसका शुभारंभ हमने बिना किसी तामझाम और प्रचार प्रसार के बेहद ही शांतिपूर्ण माहौल में कर दिया था जिसे पहले महीने में 12 हजार हिट्स प्राप्त हुए हैं। इसे हम अच्छा कहें, खराब कहें या संतुष्टिप्रद इसका फैसला करते नहीं बन रहा है। एक दैनिक समाचार पत्र के रूप में प्रतिदिन के इतने हिट्स होते तो भी हम संतुष्ट नहीं होते लेकिन जिन परिस्थितियों में हम इसे अपने पाठकों तक प्रस्तुत कर रहे हैं उसे देखते हुए इस बात की संतुष्टि जरूर मिलती है कि चलो हम कोशिश तो कर रहे हैं, वर्ना यहां तो लोग कोशिश करते भी दिखाई नहीं देते क्योंकि आज समाज में हौसला अफजाई करने वाले कम और टांग खिंचाई करने वाले ज्यादा नजर आते हैं।
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पेट की भूख इतनी कि पुल पर लटक फेंका गया खाना खाता रहा वह
जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस
मैला-कुचैला स्वेटर पहने, दाढ़ीवाला यह बाबा अपनी जान जोखिम में डाल रैलिंग के उस पार इसलिए चला गया क्योंकि उसे पाइप के उपर में पहले दिन फेंके गए भोजन के चंद दाने दिख गए। पेट की क्षुधा को दूर करने वह इन दानों को हाथों से उठाकर खाता गया। भरी दुपहरी एनएच से गुजरने वाले सैकड़ो लोगों ने उसे देखा मगर किसी ने उसे टोकना अथवा उसकी भूख मिटाना गवारा नहीं समझा।
उपर दिख रहा दृश्य चांपा के गेमन पुल के उपर की है, दिनांक 12 दिसंबर 2016, दिन सोमवार, समय दोपहर के लगभग दो बजे। पुल के उपर से गुजरते हुए फकीरनुमा इस व्यक्ति को जैसे ही रेलिंग के उस पार पाइप लाइन के उपर में पहले दिन के फेंके गए भोजन के चंद दाने दिखे तो उसकी आंखें खुशी से चमक उठी। अपनी सारी झिझक मिटा लोगों की परवाह किए बिना वह अपनी जान जोखिम मे डाल रेलिंग को पार कर पाइप के उपर जा पंहुचा तथा पाइप में गिरे भोजन को अपने हाथों से उठा इतनी तल्लीनता से भोजन करने में व्यस्त हो गया मानो उसके सामने छप्पन भोग परोसे गए हो। लगभग एक घंटे से भी ज्यादा समय तक वह वहां बैठा रहा एक-एक दाने भोजन को चुनता रहा, इस दौरान पुल के उपर से गुजरते सैकड़ो लोगों ने उसे देखा लेकिन किसी ने उसे टोकने अथवा उसकी मदद करने की कोशिश नहीं की।
मैला-कुचैला स्वेटर पहने, दाढ़ीवाला यह बाबा अपनी जान जोखिम में डाल रैलिंग के उस पार इसलिए चला गया क्योंकि उसे पाइप के उपर में पहले दिन फेंके गए भोजन के चंद दाने दिख गए। पेट की क्षुधा को दूर करने वह इन दानों को हाथों से उठाकर खाता गया। भरी दुपहरी एनएच से गुजरने वाले सैकड़ो लोगों ने उसे देखा मगर किसी ने उसे टोकना अथवा उसकी भूख मिटाना गवारा नहीं समझा।
उपर दिख रहा दृश्य चांपा के गेमन पुल के उपर की है, दिनांक 12 दिसंबर 2016, दिन सोमवार, समय दोपहर के लगभग दो बजे। पुल के उपर से गुजरते हुए फकीरनुमा इस व्यक्ति को जैसे ही रेलिंग के उस पार पाइप लाइन के उपर में पहले दिन के फेंके गए भोजन के चंद दाने दिखे तो उसकी आंखें खुशी से चमक उठी। अपनी सारी झिझक मिटा लोगों की परवाह किए बिना वह अपनी जान जोखिम मे डाल रेलिंग को पार कर पाइप के उपर जा पंहुचा तथा पाइप में गिरे भोजन को अपने हाथों से उठा इतनी तल्लीनता से भोजन करने में व्यस्त हो गया मानो उसके सामने छप्पन भोग परोसे गए हो। लगभग एक घंटे से भी ज्यादा समय तक वह वहां बैठा रहा एक-एक दाने भोजन को चुनता रहा, इस दौरान पुल के उपर से गुजरते सैकड़ो लोगों ने उसे देखा लेकिन किसी ने उसे टोकने अथवा उसकी मदद करने की कोशिश नहीं की।
मानवता मरते रही वो हंसता रहा
मानवता के लिए इससे शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है कि आज के युग में भी किसी इंसान को सड़क पर फेंके गए धूल मिट्टी से सने भोजन को करने की स्थिति आन पड़े। मगर ये सब हुआ, सैकड़ो लोगों की आंखों के सामने हुआ। वहां हुआ जहां थोड़ी सी चूक से वह सीधा मौत के मुंह में जा सकता था लेकिन शायद उसके सामने उस मौत से भी कठिन स्थिति वह रही होगी जब भूख से उसके पेट ने कुलबुलाना प्रारंभ किया होगा। भूख से मरने की अपेक्षा शायद उन्होंने मौत के मुंह से कुछ दाने छिनकर उससे जीवित रहना ज्यादा आसान समझा होगा तभी तो वह अपनी जान की परवाह किए बिना वहां पंहुच भोजन पर टूट पड़ा। उसे इस स्थिति में देख गुजरने वाले सैकड़ो लोगों में से दर्जनों वहां रूके भी लेकिन उन्हें देख वह अट्टहास करने लगा, जोर से, और जोर से, जोर-जोर से हंसने लगा और लोग उसे एक पागल का पागलपन समझ आगे बढ़ गए।↧
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इंसानियत ऐसी तो मैं पागल ही ठीक हूं ...
राजेश सिंह क्षत्री
शरीर पर मैला कुचैला स्वेटर, उस पर उपर से लपेटा हुआ चादर, चेहरे की बढ़ी हुई दाढ़ी और उलझे हुए बाल, पहली नजर में देखने वाले उसे दीन-दुखी कम और पागल ज्यादा समझ रहे थे। उस पर वो काम ही ऐसा कर रहा था। आज लोग अपनी थाली में उपर तक छलकता हुआ भोजन भर अच्छा नहीं लगने की बात कह उसे जूठन में डाल देते हैं ऐसी स्थिति में कोई आदमी रोड पर पड़े हुए धूल से सने भोजन में टूट पड़े तो वह पागल ही तो होगा ना ? वह भोजन कौन सा सादा और साफ रहा होगा, वो किसी होटल का जूठन होगा या फिर किसी पार्टी में बचे हुए भोजन के साथ में रखा गया जूठन, हो सकता है किसी ने अपने घर अथवा होटल की पूरी गंदगी को एकत्रित कर नदी में बहाने की नीयत से रात के अंधेरे में वहां से डाला हो जिसमें से भोजन के कुछ दाने जल्दबाजी में पाइप पर गिर गए हों, पर उसे कोई खाता है। छी, कोई पागल ही होगा जो उसे खाएगा। हम तो अपने घर के तुरंत साफ किए गए डायनिंग टेबल में गिरे भोजन के किसी दाने को भी नहीं खाते। अगर उसे इतनी ही भूख लगी थी तो कहीं चोरी कर लेता, डाका डाल लेता, जमीन में गिरी हुए खाने को खाने की क्या जरूरत थी। सचमुच वह कोई पागल ही रहा होगा क्योंकि पागल नहीं रहता तो और नहीं तो किसी पार्टी-सार्टी में बिन बुलाए मेहमान बनकर भी तो खा सकता था। उसके भिखारी के समान कपड़े देखकर शायद कोई उसे भीतर नहीं जाने देते लेकिन वहां वो लोगों को अपनी भूख के बारे में बता भी तो सकता था, लेकिन क्या तब लोग उसकी बातों को समझते ? यहां भरी दुपहरी में गुजर रहे सैकड़ो, हजारों लोगों में से किसी ने जब उसके दर्द को समझने की कोशिश नहीं की तो क्या गारंटी है वहां कोई उसके दर्द को समझता। उसने भीख नहीं मांगी, चोरी नहीं की, डाका नहीं डाला तब भी लोग उसे ऐसी नजरों से देख रहे थे जैसे उसने कोई बड़ा-सा गुनाह कर दिया हो। अगर वो ये सब कर के रोटी की जुगाड़ करता तब तो लोग उस पर थू-थू ही कर रहे होते, लेकिन अब, अभी लोग क्या कर रहे हैं ? अभी भी तो लोग वही कर रहे हैं, कोई उसे देखकर उसके सामने थूक नहीं रहा लेकिन थू तो वो कर ही रहे हैं। थू, कोई सड़क में पड़े धूल से सने खाने को भी खाता है। वह क्यों खा रहा है यह जानने के लिए भले ही वहां एक आदमी न रहा हो लेकिन वह कैसे खा रहा है यह जानने के लिए तो वहां बहुत सारे थे, और हो भी क्यों नहीं, हमें तालीम ही ऐसी मिली है जहां हम अपने सुख पे जितना खुश नहीं होते उससे ज्यादा खुशी हमें दूसरों के दुख को देखकर होती है। हम अपने आपको, अपने घर को कम देखते हैं बनिस्बत अपने पड़ोसी के घर में ताका-झांकी करने के। भरी दुपहरी में इस तरह कोई इंसान अपनी भूख मिटाने की कोशिश करे और सभ्य समाज उसे देखता रहे ऐसी स्थिति में हम कैसे कहें कि इंसानियत अभी जिंदा है। अच्छा चलो मान लेते हैं कि वह कोई पागल रहा होगा लेकिन हम, हम क्या उससे कम पागल हैं ? हम उसे जमीन पर गिरे को खाते हुए नहीं रोक सकते थे पर मौत के मुंह में जाने की कोशिश करते तो रोक सकते थे। अपने बच्चों के कुरकुरे, चाकलेट, पिज्जा बर्गर से लेकर अनाप-शनाप शौक पर हम सैकड़ों-हजारो रूपए बेमतलब का खर्च कर देते हैं, ऐसे में हम एक भूखे इंसान को एक वक्त का खाना तो खिला ही सकते हैं, किसी छोटे-बड़े होटल में बिठाकर न सही, अपने घर से खाना लाकर तो ऐसी कोशिश की ही जा सकती थी। लेकिन नहीं, मैं ये सब नहीं करूंगा, क्योंकि समाज का ठेका एक अकेला मैंने थोड़े ले रखा है, यहां और भी तो है समाज में रहने वाले, वही करे ये सब। वह कौन-सा मेरा अपना है, मेरा सगा है जो मैं उसके लिए, उसके भूख के लिए परेशान होउं। बस यही एक सोच, यही एक कारण हैं जो कि हमें इंसानियत से दूर करते हैं, और तभी शायद हम जैसे लोगों को देख वह सोचता है अगर इंसानियत ऐसी है तब तो मैं पागल ही ठीक हूं, और वह अट्टहास करने लगता है।
शरीर पर मैला कुचैला स्वेटर, उस पर उपर से लपेटा हुआ चादर, चेहरे की बढ़ी हुई दाढ़ी और उलझे हुए बाल, पहली नजर में देखने वाले उसे दीन-दुखी कम और पागल ज्यादा समझ रहे थे। उस पर वो काम ही ऐसा कर रहा था। आज लोग अपनी थाली में उपर तक छलकता हुआ भोजन भर अच्छा नहीं लगने की बात कह उसे जूठन में डाल देते हैं ऐसी स्थिति में कोई आदमी रोड पर पड़े हुए धूल से सने भोजन में टूट पड़े तो वह पागल ही तो होगा ना ? वह भोजन कौन सा सादा और साफ रहा होगा, वो किसी होटल का जूठन होगा या फिर किसी पार्टी में बचे हुए भोजन के साथ में रखा गया जूठन, हो सकता है किसी ने अपने घर अथवा होटल की पूरी गंदगी को एकत्रित कर नदी में बहाने की नीयत से रात के अंधेरे में वहां से डाला हो जिसमें से भोजन के कुछ दाने जल्दबाजी में पाइप पर गिर गए हों, पर उसे कोई खाता है। छी, कोई पागल ही होगा जो उसे खाएगा। हम तो अपने घर के तुरंत साफ किए गए डायनिंग टेबल में गिरे भोजन के किसी दाने को भी नहीं खाते। अगर उसे इतनी ही भूख लगी थी तो कहीं चोरी कर लेता, डाका डाल लेता, जमीन में गिरी हुए खाने को खाने की क्या जरूरत थी। सचमुच वह कोई पागल ही रहा होगा क्योंकि पागल नहीं रहता तो और नहीं तो किसी पार्टी-सार्टी में बिन बुलाए मेहमान बनकर भी तो खा सकता था। उसके भिखारी के समान कपड़े देखकर शायद कोई उसे भीतर नहीं जाने देते लेकिन वहां वो लोगों को अपनी भूख के बारे में बता भी तो सकता था, लेकिन क्या तब लोग उसकी बातों को समझते ? यहां भरी दुपहरी में गुजर रहे सैकड़ो, हजारों लोगों में से किसी ने जब उसके दर्द को समझने की कोशिश नहीं की तो क्या गारंटी है वहां कोई उसके दर्द को समझता। उसने भीख नहीं मांगी, चोरी नहीं की, डाका नहीं डाला तब भी लोग उसे ऐसी नजरों से देख रहे थे जैसे उसने कोई बड़ा-सा गुनाह कर दिया हो। अगर वो ये सब कर के रोटी की जुगाड़ करता तब तो लोग उस पर थू-थू ही कर रहे होते, लेकिन अब, अभी लोग क्या कर रहे हैं ? अभी भी तो लोग वही कर रहे हैं, कोई उसे देखकर उसके सामने थूक नहीं रहा लेकिन थू तो वो कर ही रहे हैं। थू, कोई सड़क में पड़े धूल से सने खाने को भी खाता है। वह क्यों खा रहा है यह जानने के लिए भले ही वहां एक आदमी न रहा हो लेकिन वह कैसे खा रहा है यह जानने के लिए तो वहां बहुत सारे थे, और हो भी क्यों नहीं, हमें तालीम ही ऐसी मिली है जहां हम अपने सुख पे जितना खुश नहीं होते उससे ज्यादा खुशी हमें दूसरों के दुख को देखकर होती है। हम अपने आपको, अपने घर को कम देखते हैं बनिस्बत अपने पड़ोसी के घर में ताका-झांकी करने के। भरी दुपहरी में इस तरह कोई इंसान अपनी भूख मिटाने की कोशिश करे और सभ्य समाज उसे देखता रहे ऐसी स्थिति में हम कैसे कहें कि इंसानियत अभी जिंदा है। अच्छा चलो मान लेते हैं कि वह कोई पागल रहा होगा लेकिन हम, हम क्या उससे कम पागल हैं ? हम उसे जमीन पर गिरे को खाते हुए नहीं रोक सकते थे पर मौत के मुंह में जाने की कोशिश करते तो रोक सकते थे। अपने बच्चों के कुरकुरे, चाकलेट, पिज्जा बर्गर से लेकर अनाप-शनाप शौक पर हम सैकड़ों-हजारो रूपए बेमतलब का खर्च कर देते हैं, ऐसे में हम एक भूखे इंसान को एक वक्त का खाना तो खिला ही सकते हैं, किसी छोटे-बड़े होटल में बिठाकर न सही, अपने घर से खाना लाकर तो ऐसी कोशिश की ही जा सकती थी। लेकिन नहीं, मैं ये सब नहीं करूंगा, क्योंकि समाज का ठेका एक अकेला मैंने थोड़े ले रखा है, यहां और भी तो है समाज में रहने वाले, वही करे ये सब। वह कौन-सा मेरा अपना है, मेरा सगा है जो मैं उसके लिए, उसके भूख के लिए परेशान होउं। बस यही एक सोच, यही एक कारण हैं जो कि हमें इंसानियत से दूर करते हैं, और तभी शायद हम जैसे लोगों को देख वह सोचता है अगर इंसानियत ऐसी है तब तो मैं पागल ही ठीक हूं, और वह अट्टहास करने लगता है।
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खाद्यमंत्री एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के हाथों दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के मुंगेली जिले के कैलेण्डर का विमोचन
दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसके द्वारा मुंगेली जिले के लिए प्रकाशित 2017 के कैलेंडर का विमोचन खाद्यमंत्री पुन्नूलाल मोहले, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद लखनलाल साहू, संसदीय सचिव तोखन साहू, छ.ग गृह निर्माण आयोग के अध्यक्ष भूपेन्द सवन्नी, भाजपा के मुंगेली जिला अध्यक्ष कोमलगिरी गोस्वामी, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसके जिला प्रमुख
अजीत यादव के द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसके लिए 2017 में प्रकाशित यह दूसरा कैलेण्डर है। इसके पहले संपादकीय कार्यालय जांजगीर-चांपा से प्रकाशित कैलेण्डर का विमोचन किया जा चुका है।
अजीत यादव के द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसके लिए 2017 में प्रकाशित यह दूसरा कैलेण्डर है। इसके पहले संपादकीय कार्यालय जांजगीर-चांपा से प्रकाशित कैलेण्डर का विमोचन किया जा चुका है।
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पत्रकारिता के लिए मिला सम्मान
*इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय बालाघाट* द्वारा दैनिक *छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस* और मासिक पत्रिका *पंचायत की मुस्कान* के *संपादक राजेश सिंह क्षत्री* को *राष्ट्रीय पत्रकार श्री अवार्ड* देकर सम्मानित किया गया.
कुल 4 सत्रो मे आयोजित कार्यक्रम मे बालाघाट कलेक्टर भरत यादव सहित जनप्रतिनिधियो, अधिकारियो एवं गणमान्य नागरिको ने अपनी सहभागीता निभाई. इस अवसर पर वार्शिक पत्रिका *गंगोत्री* के 15वे अंक का विमोचन किया गया. साथ ही *नई दिल्ली के साहित्यकार सीताराम चौहान 'पथिक'* की पुस्तक *पीडा ...घटते मूल्यो की* का भी विमोचन किया गया साथ ही बालाघाट, दिल्ली, रायगढ, नागपुर, भंडारा, झांसी सहित देशभर से पहुचे 150 साहित्यकारो और समाज सेवको का भी सम्मान किया गया .
कुल 4 सत्रो मे आयोजित कार्यक्रम मे बालाघाट कलेक्टर भरत यादव सहित जनप्रतिनिधियो, अधिकारियो एवं गणमान्य नागरिको ने अपनी सहभागीता निभाई. इस अवसर पर वार्शिक पत्रिका *गंगोत्री* के 15वे अंक का विमोचन किया गया. साथ ही *नई दिल्ली के साहित्यकार सीताराम चौहान 'पथिक'* की पुस्तक *पीडा ...घटते मूल्यो की* का भी विमोचन किया गया साथ ही बालाघाट, दिल्ली, रायगढ, नागपुर, भंडारा, झांसी सहित देशभर से पहुचे 150 साहित्यकारो और समाज सेवको का भी सम्मान किया गया .
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एमपी में मिला प्यार बेशुमार, धन्यवाद बालाघाट
17 फरवरी 2017 को मध्यप्रदेश के बालाघाट में स्थित इतिहास एवं पुरातत्व शोध संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम में चंद घंटों में बेशुमार प्यार मिला। मंच में मंचासीन होकर वार्षिक पत्रिका गंगोत्री (प्रधान संपादक बालाघाट की कविता गहरवार एवं संपादक रायगढ़ के अमीचंद अग्रवाल) के 15 वें अंक के विमोचन के साथ ही नई दिल्ली के साहित्यकार सीताराम चौहान ‘‘पथिक’’ द्वारा रचित पुस्तक ‘‘पीड़ा ... घटते मूल्यों की’’ के विमोचन तक तथा अपने से उम्र तथा अनुभव में दोगुने उम्र के सैकड़ों लोगों को दिए जा रहे सम्मान में सहभागिता निभाने से लेकर उन्हें संबोधित करने तक बालाघाट में बिताया गया हर एक पल यादगार बन गया। इतिहास एवं पुरातत्व शोध संग्रहालय के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह गहरवार अपने जीवन संगिनी श्रीमती कविता गहरवार के साथ जिस तरह से बालाघाट एवं आसपास बिखरे ऐतिहासिक धरोहरों को समेटने में जुटे हुए हैं उनकी कोशिश स्थानीय स्तर पर उन्हें भागीरथ सी महत्ता प्रदान करती है
यही वजह है उन्होंने संग्रहालय के हित में जितनी भी मांग की जिले के कलेक्टर भरत यादव ने हर मांग को मंच से ही स्वीकृति प्रदान करते हुए उतनी राशि और मिलाने की घोषणा की तथा नोटशीट आदि की औपचारिकता में सप्ताह भर का समय व्यतीत होने की बात कहते हुए सीधे हस्ताक्षर किए। बालाघाट में बिताया गया हर पल यादगार रहा।
यही वजह है उन्होंने संग्रहालय के हित में जितनी भी मांग की जिले के कलेक्टर भरत यादव ने हर मांग को मंच से ही स्वीकृति प्रदान करते हुए उतनी राशि और मिलाने की घोषणा की तथा नोटशीट आदि की औपचारिकता में सप्ताह भर का समय व्यतीत होने की बात कहते हुए सीधे हस्ताक्षर किए। बालाघाट में बिताया गया हर पल यादगार रहा।
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सीएम बनने मोदी ने छोड़ी पीएम की कुर्सी
ऐसा करने वाले पहले नेता, बनेगा विश्व रिकार्ड
होली में मदमस्त रिपोर्टर/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसपांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से उत्साहित भाजपा नेताओं ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम फाइनल कर दिया है जिसके बाद नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति के पास अपना इस्तीफा भी भेज दिया है, अब नरेन्द्र मोदी 13 मार्च की शाम लखनउ में उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इसके साथ ही नरेन्द्र मोदी के नाम प्रधानमंत्री की गद्दी को ठुकराकर मुख्यमंत्री बनने का नया विश्व रिकार्ड स्थापित हो जाएगा। ऐसा करने वाले श्री मोदी विश्व के पहले नेता होंगे।
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद देश भर के भाजपा नेताओं में जश्र का माहौल है। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया है। राजनीतिक विश£ेषक यूपी में चली मोदी लहर को राम लहर से भी ज्यादा तीव्र बता रहे हैं जिसके बाद आज शाम भाजपा संसदीय दल की बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई जिसमें उत्तरप्रदेश की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बधाई दी गई जिसके बाद यूपी के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी को सर्वाधिक योग्य दावेदार बताते हुए राजनाथ सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पास कर लिया गया। उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने पहले शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री का उम्मीद्वार घोषित किया था वहीं बाद में उसने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर उसे ही मुख्यमंत्री का उम्मीद्वार मान लिया वहीं बसपा की ओर से हमेशा की तरह मायावती ही सीएम पद की उम्मीद्वार रही वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में किसी को भी सीएम पद का उम्मीद्वार घोषित नहीं किया था तथा पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से ही लड़ा गया, चुनाव के बीच में दिए अपने बयान में नरेन्द्र मोदी ने अपने आपको उत्तरप्रदेश का गोद लिया बेटा बताया था तथा कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण ने यूपी में पैदा होने के बाद अपनी कर्मभूमि गुजरात को बना लिया था वहीं उन्होंने गुजरात में पैदा होकर यूपी को अपना कर्मभूमि बना लिया है जिसके बाद एक पीएम को सीएम बनाने जनता में भी मोदी के नाम की सुनामी चल पड़ी। पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद पार्टी में सीएम के दावेदारों की बाढ़ आ गई थी जिससे किसी एक को सीएम बनाने पर पार्टी के भीतर भारी असंतोष और टूट की संभावना नजर आने लगी थी जिसे देखते हुए नरेन्द्र मोदी का नाम सीएम के लिए आगे बढ़ाया गया जिसे सर्वसम्मति से पास भी कर दिया गया। देशहित और पार्टी हित में यूपी के सीएम बनने की बात को मानते हुए नरेन्द्र मोदी ने पीएम पद से इस्तीफा भी राष्ट्रपति को सौंप दिया है वहीं उत्तरप्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने उन्हें 13 मार्च की शाम को शपथग्रहण के लिए बुलाया है। यूपी के सीएम पद की शपथ लेते ही नरेन्द्र मोदी के नाम एक अनोखा रिकार्ड दर्ज हो जाएगा, श्री मोदी विश्व के ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया है।
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मोदी के इस्तीफे के बाद रमन का नाम पीएम के दावेदारों में सबसे आगे
तमाम दबावों के बाद भी सरकार के शराब बेचने के फैसले पर अडिग रहना बना प्लस प्वाइंट
होली में मदमस्त रिपोर्टर/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेसयूपी के सीएम बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी में अगले पीएम उम्मीद्वार की तलाश तेज हो गई है। इस पद के लिए दिग्विजय ङ्क्षसह, राजनाथ सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया सहित बहुत सारे वरिष्ठ नेता लाइन में लगे बताए जा रहे हैं वहीं इन सबके बीच आश्चर्य जनक तरीके से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है। तमाम दबाओं के बाद भी सीएम रमन सिंह जिस तरह से सरकार के द्वारा शराब बेचने के निर्णय पर अडिग है इसे उसके पक्ष में सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट माना जा रहा है।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव देश की दशा और दिशा बदलने वाला साबित हुआ है। देश को कांग्रेस मुक्त भारत देने का नारा देने वाली भाजपा ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचण्ड बहुमत हासिल कर लिया है जिसके बाद पार्टी के नेताओं और यूपी की जनता की मांग पर नरेन्द्र मोदी ने यूपी का सीएम बनने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद देश के अगले पीएम के लिए पार्टी के भीतर कई दावेदार सक्रिय हो गए हैं। इस पद के लिए पहले राजनाथ सिंह और अमित शाह को सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था क्योंकि अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष रहते उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल हुई है लेकिन पंजाब और गोवा में सत्ता से बेदखल होना उसके लिए हानिकारक रहा वहीं यूपी सीएम के लिए नरेन्द्र मोदी का नाम आगे बढ़ाना राजनाथ सिंह को भारी पड़ गया जिसके बाद पीएम पद के लिए वर्तमान में देश के अलग-अलग राज्यों में पदस्थ सीएम का नाम आगे लाया गया और वसुंधरा राजे सिंधिया, दिग्विजय सिंह के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी देश के अगले पीएम की कतार में शामिल हो गए जिसके बाद आश्चर्यजनक रूप से अगले पीएम पद के लिए डा. रमन सिंह का नाम सबसे आगे हो गया है। बताया जा रहा है इसकी सबसे बड़ी वजह हाल ही में डा. रमन सिंह द्वारा छत्तीसगढ़ में सरकार के द्वारा शराब बेचने के निर्णय को माना जा रहा है। पार्टी के लोग रमन सिंह के इस निर्णय को नरेन्द्र मोदी द्वारा लिए गए नोटबंदी के निर्णय के समकक्ष मानकर चल रहे हैं जिस पर तमाम विपक्षी दलों के विरोध और जनता की तकलीफो के बाद भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अडिग रहे थे उसी तरह कांग्रेस, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी सहित तमाम दलों और जनता के लामबंद होने के बाद भी सीएम डा. रमन सिंह ने दो टूक कह दिया है कि अब सरकार के इस निर्णय से पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। सीएम की यही अदा पार्टी नेताओं को भा गई है। स्वच्छ और मिलनसार छवि के चलते भाजपा के सहयोगी दलों को भी पीएम पद के लिए डा. रमन सिंह के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है ऐसी स्थिति में डा. रमन सिंह का अगला पीएम बनना तय है। उत्तरप्रदेश के सीएम के रूप में नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी के बाद पार्टी की ओर से इस बारे में अधिकृत घोषणा की जाएगी।
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छत्तीसगढ़ के अगले सीएम के लिए भाजपा में दावेदारी तेज
अजय से लेकर बिरजू तक नजर आ रहे कतार में
होली में मदमस्त रिपोर्टर/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेससीएम डा. रमन सिंह के देश के अगले पीएम के रूप में शपथ लेने की अटकलों के बीच छत्तीसगढ़ बीजेपी में भी राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री बनने सत्ता और संगठन से जुड़े पार्टी नेताओं ने जोर आजमाइस प्रारंभ कर दी है। होली बाद अजय चन्द्राकर, बृजमोहन अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, प्रेमप्रकाश पाण्डेय, अमर अग्रवाल में से किसी एक नाम पर आमराय बनाने की कोशिश की जा सकती है।
पांच राज्यों में हुए उपचुनाव के बाद दिल्ली का ताज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के सिर पर सजना तय माना जा रहा है जिसके बाद रिक्त हो रही छत्तीसगढ़ के सीएम पद के लिए संगठन और सत्ता से जुड़े नेताओं ने अपनी दावेदारी तेज कर दी है। इस पद के लिए पहला नाम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर का चल रहा है, नसबंदी कांड के बाद अजय चन्द्राकर ने जिस तरह से स्वास्थ्य विभाग को संभाला तथा सड़क दुर्घटना में गृहमंत्री के घायल होने के बाद जिस अंदाज में उन्होंने गृहमंत्री का दायित्व निभाया उससे उनकी इस पद के लिए स्वाभाविक दावेदारी है तो वहीं राजधानी रायपुर सहित प्रदेश भर के लाडले बृजमोहन अग्रवाल अपनी योग्यता और काबिलियत के दम पर मैदान में बने हुए हैं। संगठन के मुखिया के तौर पर धरमलाल कौशिक अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं तो वहीं प्रेमप्रकाश पाण्डेय को अगला सीएम बनाने के लिए ब्राम्हण लाबी रायपुर से लेकर दिल्ली तक सक्रिय हो गई है। अमर अग्रवाल अपने पिता के पुराने संबंधों का हवाला देते हुए इस पद के लिए लाबिंग में जुट गए हैं। फिलहाल पार्टी ने अभी इस मामले में अंतिम फैसला नहीं लिया है तथा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ डा. रमन सिंह की पसंद का भी छत्तीसगढ़ का अगला सीएम चुनते समय ध्यान रखा जाएगा।
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